देश कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है और इस राष्ट्रीय संकट के समय में मेडिकल स्टाफ से लेकर पुलिस-प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात लगकर जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं. गुजरात और राजस्थान की दो महिलाओं ने कोरोना योद्धा के तौर पर मिसाल कायम की है.
गुजरात के सूरत में गर्भवती होने के बावजूद नर्स नैंसी आयजा मिस्त्री अस्पताल में ड्यूटी करके अपने फर्ज को निभा रही हैं. वहीं कोरोना संकट के बीच छुट्टी नहीं मिलने से राजस्थान के डूंगरपुर के पुलिस स्टेशन में तैनात महिला कांस्टेबल आशा रोत ने थाने में हल्दी की रस्म पूरी की.
इन महिला कोरोना योद्धाओं पर देश को नाज
देश में कोरोना की दूसरी लहर से कई राज्य प्रभावित हैं और गुजरात व राजस्थान भी कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं लेकिन इस मुश्किल वक्त में इन दोनों राज्यों से देश के लोगों को सेवा और समर्पण की प्रेरणा देने वाली खबर सामने आई है.
ANI की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के सूरत में एक गर्भवती महिला नर्स नैंसी आयजा मिस्त्री, कोरोना मरीजों की देखभाल कर रही हैं, साथ ही वे रमजान में रोजा भी रख रही हैं. अटल कोविड-19 सेंटर में नैंसी कोरोना वायरस के बढ़ते जोखिम के बीच करीब 8 से 10 घंटे काम कर रही हैं.
इंडिया टुडे से नैंसी ने कहा कि ‘भले ही मैं गर्भवती हूं, लेकिन मेरे लिए मेरा फर्ज बहुत जरूरी है. ऊपर वाले की कृपा से, मुझे रमजान के महीने में मरीजों की सेवा करने का मौका मिल रहा है.’
पुलिस स्टेशन में ही पूरी की हल्दी की रस्म
वहीं राजस्थान के डूंगरपुर के पुलिस स्टेशन में पदस्थ महिला कांस्टेबल आशा रोत की 30 अप्रैल को शादी होने वाली है लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच वह ड्यूटी पर हैं और शादी की रस्मों को पूरा करने के लिए उन्हें छुट्टी नहीं मिली है.
इस बीच पुलिसकर्मियों ने पुलिस स्टेशन में उनकी शादी की हल्दी की रस्मों को पूरा किया और बधाई दीं. हालांकि महिला कांस्टेबल आशा रोत को शादी के लिए छुट्टी दे दी गई है.
गुजरात और राजस्थान से आई इन दो खबरों ने यह साबित किया है कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में हमारे मेडिकल और पुलिसकर्मी पूरी मुस्तैदी के साथ लगे हुए हैं. आज हम घरों के अंदर सहमे बैठे हैं लेकिन ये भय के इस माहौल में लोगों की सेवा कर रहे हैं. इसलिए जरूरत है कि हम इस लड़ाई में कोविड नियमों का पालन करके मेडिकल स्टाफ और पुलिस प्रशासन का सहयोग करें.
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