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ऑक्सीजन के लिए हाहाकार जारी, 24 घंटे में गंगाराम में चार बार संकट

पीएम केयर्स से ऑक्सीजन प्लांट के लिए नया आवंटन, पर पिछला लक्ष्य ही अधूरा

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अस्पतालों में अभी भी ऑक्सीजन के लिए त्राहिमाम खत्म नहीं हुआ है. बिना गुहार लगाए अस्पतालों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. मरीजों की जान आफत में डाली जा रही है. देश के कई अस्पताल रोजाना ऑक्सीजन के लिए SOS भेज रहे हैं. 25 अप्रैल को भी यही सिलसिला चलता रहा. दिल्ली के कई अस्पतालों में 25 अप्रैल की सुबह-सुबह ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई.

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ऑक्सीजन की कमी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट केंद्र से कह चुका है कि किसी भी तरह इसका इंतजाम करना होगा. साथ ही गृह मंत्रालय ने भी ऑक्सीजन टैंकरों की आवाजाही को बिना किसी रोकटोक के होने देने का आदेश दिया है.

लेकिन जमीनी हालात ये हैं कि अस्पतालों में अभी भी ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हो रही है, अस्पताल रोजाना ऑक्सीजन सप्लाई के लिए SOS भेज रहे हैं, अस्पतालों के प्रमुख सरकारों से अपील कर रहे हैं कि कुछ ही घंटों की ऑक्सीजन बची है और मरीजों की जान खतरे में है.

गंगाराम अस्पताल को ऐन मौके पर मिली ऑक्सीजन

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल ने 24 अप्रैल की देर रात ऑक्सीजन के लिए SOS भेजा था. अस्पताल ने कहा था कि उसके पास सिर्फ 45 मिनट-1 घंटे की ऑक्सीजन बची है. उस समय अस्पताल में 130 मरीज ICU में थे और 30 मरीज वेंटीलेटर पर.

आधी रात के बाद अस्पताल में एक मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंची, जिससे मरीजों को रात भर की राहत मिली. फिर सुबह करीब 4:15 पर 5 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और पहुंचाई गई.  

गंगाराम अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा, "5 मीट्रिक टन ऑक्सीजन 11-12 घंटे चलनी चाहिए. काफी समय बाद ऑक्सीजन पूरे प्रेशर से चल रही है."

NDTV की खबर कहती है कि पिछले 24 घंटों में ये गंगाराम अस्पताल से भेजा गया चौथा SOS था.

23 अप्रैल को सर गंगाराम अस्पताल में 25 बहुत बीमार लोगों की मौत हो गई थी. 24 अप्रैल को दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 20 मरीजों की मौत हो गई.
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दिल्ली के अस्पतालों का बुरा हाल

लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में 25 अप्रैल की सुबह 10 बजे करीब एक ऑक्सीजन टैंकर पहुंचा. अस्पताल अपने बैकअप स्टॉक पर चल रहा था. स्टॉक सिर्फ दो ही घंटे चल सकता था.

वहीं, दिल्ली के उत्तम नगर स्थित गांधी अस्पताल ने भी 24 अप्रैल की रात ऑक्सीजन के लिए SOS भेजा था. अस्पताल ने कहा था कि उसके पास सिर्फ एक घंटे की सप्लाई बची है. अस्पताल में 60 से ज्यादा मरीजों की जान पर बन आई थी. 

फिर रात करीब 12:45 पर गांधी अस्पताल में बीजेपी नेता तजिंदर बग्गा की मदद से 20 ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचाए गए.

दिल्ली के पेंटामेड अस्पताल में 25 अप्रैल की सुबह 11 बजे तक सिर्फ 1.5 घंटे की मेडिकल ऑक्सीजन बची थी. कैजुअल्टी के CMO ने बताया, ''हमारे पास सिर्फ 1.5 घंटे की ऑक्सीजन है. यहां करीब 60 मरीज भर्ती हैं, जिनमें 10-11 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. उनको बहुत ज्यादा ऑक्सीजन चाहिए. हम लगे हैं कि कहीं से भी ऑक्सीजन मिल जाए.''

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बाराबंकी में 2 नवजात की मौत

ऑक्सीजन की कमी से सिर्फ दिल्ली के अस्पताल ही हलकान नहीं हैं. खबर है कि उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिलने की वजह से दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई है.

वहीं, बाराबंकी के डीएम का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी की बात सच नहीं है. डीएम ने कहा कि जांच में मिला है कि अस्पताल में ऑक्सीजन थी, लेकिन बच्चों के परिजनों को मना कर दिया गया कि ऑक्सीजन नहीं है, इसलिए मौत हो गई.

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पीएम केयर्स से नया आवंटन, पिछला लक्ष्य अधूरा

ऑक्सीजन के लिए अदालतों को बीच-बचाव करना पड़ा, दिल्ली हाई कोर्ट को फटकार लगानी पड़ी और कई मरीजों ने अपनी जान गंवा दी और इसके बाद अब खबर आई है कि पीएम केयर्स फंड से 551 डेडिकेटेड प्रेशर स्विंग एड्सॉर्प्शन (PSA) मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाने के लिए पैसे का आवंटन किया गया है.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने 24 अप्रैल को बताया कि ये प्लांट सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में लगाए जाएंगे और इनसे ऑक्सीजन उपलब्धता को बढ़ावा मिलेगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिए हैं कि ये प्लांट जितना जल्दी हो सके, ऑपरेशनल होने चाहिए.

पीएमओ ने बताया कि इससे पहले 162 PSA प्लांट्स के लिए 201.58 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. हालांकि, इसी महीने स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि इनमें से सिर्फ 33 ही लग पाए हैं.  

द प्रिंट की खबर कहती है कि पिछले साल अक्टूबर में ही केंद्र सरकार ने 150 PSA प्लांट्स के लिए टेंडर खोला था. जिसे इस साल बढ़ाकर 162 किया गया, लेकिन सिर्फ 33 ही ऑपरेशनल हैं.

जब 2020 में महामारी के दौरान ही पता चल गया था कि कोविड संक्रमण के इलाज में ऑक्सीजन की भूमिका महत्वपूर्ण है तो इस तरह की खामियां लापरवाही से कहीं ज्यादा होती हैं. अब 551 प्लांट्स के लिए फंड का आवंटन हुआ है, लेकिन पहले का ही लक्ष्य अब तक जब पूरा नहीं हो पाया है तो इस नए आवंटन से क्या असर होगा, इसका कोई जवाब नहीं है.

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