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कोरोना की तीसरी लहर पहली और दूसरी जैसी गंभीर नहीं होगी: डॉ. रणदीप गुलेरिया

"समय के साथ पैंडेमिक एंडेमिक का रूप ले लेगा. कोरोना के मामले दर्ज होते रहेंगे लेकिन उसकी गंभीरता बहुत कम हो जाएगी"

Published
भारत
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कोरोना की तीसरी लहर पहली और दूसरी जैसी गंभीर नहीं होगी: डॉ. रणदीप गुलेरिया
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एक लंबे समय से कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है. इस बीच मंगलवार को दिल्ली एम्स (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर (Covid 19 Third Wave) उतनी गंभीर नहीं होगी जितनी कि पहली और दूसरी लहर रही है. जिस तरह से कोरोना के मामलों में कमी आई है इसे देखते हुए ऐसा लगता है कि वैक्सीन वायरस से सुरक्षा देने में प्रभावी रही है.

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“इसकी संभावना नहीं है कि पहली और दूसरी लहर की तुलना में कोरोना की तीसरी लहर भारत में ज्यादा खतरनाक होगी. समय के साथ पैंडेमिक एंडेमिक का रूप ले लेगी. कोरोना के मामले दर्ज होते रहेंगे, लेकिन उसकी गंभीरता बहुत कम हो जाएगी."
डॉ रणदीप गुलेरिया

भारत में अब कोरोना के मामलों में गिरावट आ रही है. मंगलवार को कुल मामले 7,579 दर्ज हुए जो पिछले 543 दिनों में सबसे कम है. डॉ गुलेरिया आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव की किताब 'गोइंग वायरल: मेकिंग ऑफ कोवैक्सीन- द इनसाइड स्टोरी' के लॉन्च पर बातचीत में बोल रहे थे, उन्होंने बूस्टर डोज की आवश्यकता पर भी अपनी बात रखी.

उन्होंने कहा,

"अभी बूस्टर डोज की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कोरोना के मामलों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन सरकार को उन लोगों को वैक्सीन लगाने पर ध्यान देना चाहिए. जिन्होंने अभी तक एक भी डोज नहीं लिया है और उन लोगों पर भी जिनका दूसरा डोज बाकि है.
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आईसीएमआर के बलराम भार्गव ने भी यह कहा कि कोरोना के खिलाफ बूस्टर वैक्सीन की जरूरत का समर्थन करने के लिए वर्तमान में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और पुडुचेरी में वैकिसीनेशन की कम दरों पर चर्चा के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की. इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक अपनी कम से कम 70 फीसदी आबादी को पहली डोज भी नहीं लगाई है.

सरकार ने वैक्सीनेशन में तेजी लाने के लिए महीने भर 'हर घर दस्तक' अभियान भी शुरू किया, ताकि जिन्होंने अभी तक पहली डोज नहीं ली और जो जिनका दूसरा डोज बाकि है, वो वैक्सानेट हो सके.

कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस साल के अंत तक अपनी पूरी आबादी को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, लेकिन कुछ राज्यों में वैक्सीनेशन धीमी गति से हो रहा है, साथ ही लोगों द्वारा दूसरी डोज लेने में देरी भी चिंता का विषय हो सकता है.

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