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नोटबंदी: 5 सबसे बड़ी गलतियां जिसे मोदी सरकार रोक सकती थी

नोट-बंदी के फैसले को अमल में लाए जाते वक्त ये गलतियां न की जातीं तो ये सब न होता. 

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पीएम मोदी के नोट-बंदी वाले फैसले के बाद से पूरे देश में बस एक ही मुद्दा है...कैश, कैश और कैश. मोदी समर्थकों से लेकर विरोधियों ने फैसले के शुरुआत में इस फैसले का समर्थन किया था. लेकिन अब जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं पब्लिक की दिक्कतों को देखते हुए बीजेपी के विरोधियों समेत समर्थकों ने सहारा छोड़ना शुरु कर दिया है.

आइए जानते हैं पीएम मोदी के इस फैसले की पांच बड़ी गलतियां

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1 - निजी अस्पतालों और चैरिटेबल संस्थाओं में पुराने नोट नहीं चलना

इस फैसले की सबसे बड़ी गलती ये है कि नोटबंदी के बाद निजी अस्पतालों और चैरिटेबल संस्थानों में पुराने नोटों को एक निश्चित समय-सीमा के लिए अनिवार्य नहीं किया गया. जबकि, सरकारी अस्पतालों में पुराने नोट स्वीकार किए जा रहे हैं और चैरिटेबल यानी धर्मार्थ संस्थानों में भी फ्री इलाज किया जाता है.

2 - एटीएम में 2000 का नया नोट क्यों नहीं चलता

2000 रुपये के नोट में गलती ये है कि कई जगहों पर एटीएम से 2000 रुपये के नोट नहीं निकल रहे हैं. हालांकि, इस मामले की शिकायत होने के बाद इस समस्या में सुधार के संकेत भी मिल रहे हैं लेकिन फिलहाल ये पर्याप्त नहीं.

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3 - मार्केट में 100 रुपये के नोट की कमी

ये वो गलती है जिसकी वजह से लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, मार्केट में 100 रुपये की काफी कमी है. इस वजह से 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने के बाद लोगों के पास कैश की समस्या हो गई और मार्केट से भी अचानक से 100 रुपये के नोट की कमी हो गई.

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4 -रोजमर्रा के कामों में भी 500 और 1000 रुपये के नोट बैन

जरा सोचकर देखिए कि अगर सरकार रोजमर्रा के कामों के लिए छोटे ट्रांजेक्शन की अनुमति देती तो कितना अच्छा होता. अगर टारगेट बड़े ट्रांजेक्शंस पर लगाम लगाना थी तो छोटे ट्रांजेक्शंस को क्यों निशाना बनाया गया.

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5 - 2000 रुपये के नोट से पहले 100 और 500 के नोट नहीं

इस मामले में सरकार से एक गलती ये भी हुई कि 2000 रुपये के नोट मार्केट में उतारने से पहले 100 और 500 रुपये के नोट पर्याप्त मात्रा में नहीं निकाले गए. इससे ये नुकसान हुआ कि जब लोगों के पास छोटे नोट नहीं होंगे तो बड़े नोटों का वे क्या करेंगे.

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