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‘मेरी एडिटेड फोटो पॉर्न साइट पर चलती रही,पुलिस ने कोई मदद नहीं की’

हैदराबाद की नजमा ने बताया कि कैसे उसे साइबर स्टॉकिंग और हेरासमेंट से गुजरना पड़ा.

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भारत
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“करीब एक महीने बाद, मैसेंजर पर फिर नोटिफिकेशन आया. नोटिफिकेशन में देखा, तो वो एक फोटो थी. जैसे ही मैंने फोटो खोली, वो एक लिंग की तस्वीर थी. एक पल के लिए तो मैं सदमे में थी, मुझे समझ नहीं आया कि वो फोटो किसलिए थी. पर जैसे ही मैं समझ गई, मैंने उसे डिलीट किया और भेजने वाले को ब्लॉक किया.’’ 
नजमा

इसे भेजने वाला अब्दुल जीशान था. वही आदमी, जिसने नजमा से दोस्ती करने के लिए अप्रोच किया था. ये तो स्टॉकिंग और सेक्‍सुअल हेरासमेंट की बस शुरुआत थी.

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‘’एक महीने के बाद फिर एक अश्‍लील तस्वीर मेरे पास आई. मैसेंजर पर एक अनजान व्यक्ति ने मुझे भेजी थी. फिर से ये अब्दुल जीशान ही था. वो फेक अकाउंट बनाकर मुझे परेशान करने लगा. उसने कहा कि मेरे ब्लॉक करने के बावजूद उसने मुझे टिंडर पर ढूंढ लिया. उसने कहा कि वो मेरा ‘दोस्त’ बनना चाहता है. ये काफी अजीब था, क्योंकि‍ मैं टिंडर पर हूं ही नहीं.’’
नजमा
हैदराबाद की नजमा ने बताया कि कैसे उसे साइबर स्टॉकिंग और हेरासमेंट से गुजरना पड़ा.

जीशान उसे ऐसे ही परेशान करता रहा. फेसबुक पर उसने अनेक अकाउंट बनाकर उसे परेशान किया. उसने नजमा की तस्वीरें इंंटरनेट से निकालीं और उनके साथ छेड़छाड़ कर उसे ब्लैकमेल करना शुरू किया. नजमा अपने अकाउंट का पासवर्ड बदलती रही, अकाउंट ब्लॉक करती रही, पर ये सिलसिला नहीं रुका.

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'मुझे नंगी तस्वीरें भेजो'

हैदराबाद की नजमा ने बताया कि कैसे उसे साइबर स्टॉकिंग और हेरासमेंट से गुजरना पड़ा.
हैदराबाद की नजमा ने बताया कि कैसे उसे साइबर स्टॉकिंग और हेरासमेंट से गुजरना पड़ा.

कुछ ही दिनों में उसे नजमा का नंबर भी मिल गया और उसे मैसेज करने लगा, ‘ मुझे अपने न्यूड्स भेजो, फिर मैं तुम्हें परेशान करना बंद करूंगा.’

‘’मैं तो अपना फोन देखने तक से डरती थी. गुप्त नंबरों से अनगिनत फोन आते थे. कभी मेरी एडिटेड फोटो, तो कभी किसी नंगे शरीर पर मेरा चेहरा या कभी किसी अनजान व्यक्ति का मैसेज, जिसमें वो कह रहा होता था कि वो मेरे साथ सोना चाहता है. कभी किसी पॉर्न साइट का लिंक, जिसमें मेरी फोटो लगी हो. ये सब काफी दर्दनाक था.’’
नजमा
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हैदराबाद की नजमा ने बताया कि कैसे उसे साइबर स्टॉकिंग और हेरासमेंट से गुजरना पड़ा.

एकांत में गुमशुदा जैसी जिंदगी

नजमा ने अपने आपको हर सोशल मीडिया से डिलीट कर लिया. उसने कहीं भी अपना अकाउंट नहीं बनाया. अब वो केवल जीमेल पर थी.

‘’मैं छात्रा हूं और मुझे अपने टीचर से लगातार संपर्क करते रहना होता है. असाइंमेंट भेजने होते हैं. मैंने तो अपना जीमेल तक बंद करने का फैसला किया था, पर मैंने सोचा कि ऐसे तो मैं कॉलेज पास नहीं कर पाऊंगी.’’ 
नजमा

हर सोशल मीडिया से अपने आपको डिलीट करने के बाद कुछ राहत तो मिली. पर ये एक बड़े तूफान से पहले की खामोशी थी.

‘’एक दिन कॉलेज में एक अनजान ईमेल आई़डी से मुझे मेल आया. इस बार फिर ये वही था और उसने मेरी आईडी हैक कर ली थी.’’
नजमा
हैदराबाद की नजमा ने बताया कि कैसे उसे साइबर स्टॉकिंग और हेरासमेंट से गुजरना पड़ा.
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फेसबुक, वॉट्सऐप, गूगल सब हैक!

जीशान, नजमा के गूगल अकाउंट को हैक कर उसकी तस्वीरें निकाल चुका था. अब वो नजमा की हर तस्वीर तक पहुंच सकता था, जो उसने अपने एंड्रॉयड फोन पर खींची थी. उसने इसका फायदा उठाकर सभी तस्वीरों को एडिट किया और पॉर्न साइट पर डाल दी.

नजमा अपने बूते तो केवल इतने सारे नंबरों को ब्लॉक ही कर सकती थी. उसने अभी तक अपने माता-पिता को नहीं बताया था. फिर एक दोस्त के साथ वो इसकी शिकायत करने SHE टीम के पास गई. 

SHE टीम तेलंगाना पुलिस की एक इकाई है, जो महिला सुरक्षा के लिए बनी है. उसने सारा माजरा उन्हें समझाया, उनको स्क्रीनशॉट दिखाए, सबकुछ ईमेल किया. उन्होंने मदद करने का वादा किया, मगर उनके पास ऐेसे जुर्म से निपटने का कोई विशेष अनुभव नहीं था.

जब प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, तो कुछ समय के लिए नजमा ने देश छोड़ने का फैसला किया.

‘’इस देश में रहना मेरे लिए दर्दनाक होता जा रहा था. मैंने सऊदी अरब जाने का फैसला किया, जहां मेरे पिता रहते थे. हालांकि‍ मेरी फिजिकल एक्टिविटी का ऑनलाइन एब्यूज से कोई लेना-देना नहीं था, फिर भी वो रुका नहीं.’’ 
नजमा
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पुलिस ने पूछा- जीमेल क्या है?

मानसिक तौर पर जूझ रही नजमा ने वापस आकर FIR करवाने का फैसला किया. साइबर क्राइम सेल में जब वो गईं, तो उनसे दो सवाल पूछे गए.

1. जीमेल क्या है?
2. क्या ये तुम्हारा पुराना प्रेमी है?

‘’शुरुआत में ऐसे सवाल पूछने के बाद उन्होंने कोई ऐसी कोशिश नहीं कि ये जानने की कि केस क्या था और मैं कैसे प्रताड़ित हुई. उन्होंने कहा कि अगर वो इसकी जांच करते हैं, तो उनको गूगल से जानकारियां निकालनी पड़ेंगी, जिसमें महीनों लग सकते हैं.’’
नजमा

नजमा खाली हाथ वापस आ गईं. मैसेज आना कुछ महीनों के लिए बंद तो हुए, मगर फिर आने लगे. वो अभी भी रोज इन मैसेज और ईमेल से जूझ रही हैं. उन्होंने कमिश्नर को भी ईमेल कर अपनी शिकायत भेजी, पर अभी तक कोई भी उनकी मदद नहीं कर सका है.

हैदराबाद की नजमा ने बताया कि कैसे उसे साइबर स्टॉकिंग और हेरासमेंट से गुजरना पड़ा.

इस सबके बीच उनकी मानसिक हालत पर काफी असर पड़ा है.

‘’सोचिए कि अगर किसी अनजान व्यक्ति के पास ये अधिकार हो कि वो आपको आपके ही शरीर के बारे में आपको बुरा महसूस करवा सके. मैं इस आदमी से कभी नहीं मिली, पर वो ऐसे बात करता है जैसे कि उसे ये हक है कि वो मेरे बारे में ये बातें कर सके. मैं सच में डर कर एकांत में रह रही हूं और बाहर जाने से भी डरती हूं. अगर उसके पास मेरी एक-एक जानकारी है, तो वो मेरे घर भी कभी भी आ सकता है.’’ 

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