चक्रवात 'बिपरर्जॉय' (Biparjoy) ने गुरुवार (15 जून) शाम को गुजरात में जखाऊ बंदरगाह के पास भारतीय भूभाग में प्रवेश किया, जिससे गुजरात के पश्चिमी तट पर भारी बारिश हुई और समुद्र में तूफान की लहरें उठी.
' बिपरजॉय ' ने मचाई तबाही
'बिपरजॉय' भारत में गुरुवार शाम करीब 6.30 बजे, 115-125 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ प्रवेश किया, जिसके कारण गुजरात में काफी नुकसान हुआ. तेज हवा के कारण पेड़ उखड़ गए, बिजली के खंभे गिर गये, सड़कें जाम हो गईं और बिजली गुल हो गई.
PM मोदी ने स्थिति का लिया जायजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए गुजरात मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को फोन किया. एक सरकारी बयान में कहा गया, "उन्होंने (पीएम) गिर के जंगल में शेरों और अन्य जंगली जानवरों के बारे में भी चिंता व्यक्त की."
CM ने अधिकारियों को दिये निर्देश
गांधीनगर में स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशंस सेंटर में एक बैठक में, सीएम पटेल ने अधिकारियों को 'प्रभावितों को पैसा, घरेलू सामान, झोपड़ी में रहने वालों और जानवरों' को सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया.
अब तक 6 की मौत
अधिकारियों ने कहा कि भावनगर शहर के पास बाढ़ में बह जाने से एक चरवाहे और उसके बेटे की मौत हो गई. इस घटना में उनकी करीब 20 भेड़ें भी मारी गईं. चक्रवात के कारण अब तक कुल छह लोगों की मौत हो चुकी है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि लैंडफॉल की प्रक्रिया आधी रात तक पूरी होने की उम्मीद है.
भूस्खलन की प्रक्रिया के दौरान धीमी गति से चलने वाले चक्रवात से नुकसान होने की अधिक संभावना होती है, क्योंकि यह भूमि पर अधिक समय तक रहता है. इसके परिणामस्वरूप आमतौर पर अधिक वर्षा भी होती है.
2 से 3 दिन तक रहेगा प्रभाव
लैंडफॉल (भूस्खलन) के पूरा होने के बाद चक्रवात खुद को बनाए रखने के लिए नमी के अभाव में बहुत जल्दी भाप खो देते हैं. IMD के मुताबिक, बिपरजॉय के शुक्रवार (16 जून) तक अपनी अधिकांश ऊर्जा खोने की उम्मीद है, हालांकि इसका प्रभाव अगले दो से तीन दिनों तक बना रहेगा.
राजस्थान-दिल्ली और हरियाणा में भी दिख सकता है प्रभाव
गुजरात के अलावा, राजस्थान के कुछ इलाकों में शनिवार (17 जून) तक तेज हवाएं चलने और बारिश होने की संभावना है. इनमें से कुछ प्रभाव दिल्ली, हरियाणा और उनके आसपास के क्षेत्रों में भी महसूस किए जा सकते हैं.
IMD के क्षेत्रीय निदेशक मनोरमा मोहंती के अनुसार, "उत्तर गुजरात के बनासकांठा और पाटन जैसे जिलों में अगले दो दिनों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है."
एक लाख लोगों को किया गया रेस्क्यू
एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि पाटन से एक हजार से अधिक लोगों को स्थानांतरित किया गया है. अब तक करीब एक लाख लोगों के सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है जिसमें से 48,000 से अधिक अकेले कच्छ से थे.
हवा की गति धीरे-धीरे कम होगी और शुक्रवार शाम तक यह लगभग सामान्य हो जाएगी.मनोरमा मोहंती, IMD के क्षेत्रीय निदेशक
गुजरात के तटीय जिलों में 14 जून से भारी बारिश हो रही है. बारिश के कारण द्वारका और जामनगर जिलों में बिजली गुल हो गई. पोरबंदर में, वेरावल से जुड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 51 का एक खंड कई पेड़ों के उखड़ जाने के बाद अवरुद्ध हो गया है.
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