टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की रविवार, 4 सितंबर को मुंबई के पास पालघर में एक सड़क दुर्घटना में मौत (Cyrus Mistry Dies) हो गई है. पालघर पुलिस के अनुसार साइरस मिस्त्री अहमदाबाद से मुंबई जा रहे थे, तभी उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई. कभी टाटा कंपनी को लीड करने वाले पहले गैर-भारतीय और टाटा परिवार से बाहर के केवल दूसरे चेयरमैन रहे साइरस मिस्त्री की केवल 54 साल में इस दुःखद मौत ने आर्थिक जगत को सन्न पर दिया है. आपको बताते हैं रतन टाटा के करीबी होने से लेकर साइरस मिस्त्री के पूरे टाटा कंपनी के खिलाफ बगावती आवाज बनने तक की कहानी.
4 जुलाई 1968 को जन्मे साइरस मिस्त्री शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप के मुखिया पल्लोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे थे. 19 वीं शताब्दी में पल्लोनजी मिस्त्री के दादा ने शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप की शुरुआत एक कॉन्स्ट्रक्शन कंपनी के रूप में की थी. मिस्त्री परिवार मुंबई के पारसी समुदाय से आता है जो शुरुआती औपनिवेशिक काल से ही व्यापारियों और उद्योगपतियों के रूप में समृद्ध हुआ.
इंग्लैंड में अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने से पहले साइरस मिस्त्री ने मुंबई के फेमस कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में पढ़ाई की थी. साइरस ने इंपीरियल कॉलेज, लंदन से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और उसके बाद लंदन बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल की.
1991 में उन्होंने फैमिली बिजनेस में प्रवेश किया और इसकी प्रमुख कंस्ट्रक्शन कंपनी, शापूरजी पल्लोनजी एंड कंपनी लिमिटेड के डायरेक्टर बने. साइरस मिस्त्री के पिता पल्लोनजी मिस्त्री टाटा ग्रुप के बोर्ड मेंबर भी थे और उसके सबसे बड़े शेयरहोल्डर भी. 2006 में पल्लोनजी मिस्त्री टाटा ग्रुप के बोर्ड से रिटायर हुए और 38 वर्षीय साइरस मिस्त्री ने उनकी जगह ली. साइरस को शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप के अलावा टाटा की कई कंपनियों के डायरेक्टर के रूप में नामित किया गया था.
नवंबर 2011 में साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का डिप्टी चेयरमैन बनाया गया था, जिसका एक ही मतलब था कि जब एक साल बाद रतन टाटा चैरेमन पद से रिटायर होंगे तब साइरस यह पद संभालते. रतन टाटा 1991 से ही इस पद पर थे.
2012 में जब साइरस मिस्त्री टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने तब खूब चर्चा हुई. स्वाभाविक वजहों के अलावा इसके दो कारण और थे. साइरस मिस्त्री टाटा ग्रुप के चेयरमैन बनने वाले पहले गैर-भारतीय थे और ऐसा करने वाले वे टाटा परिवार के बाहर के दूसरे व्यक्ति थे.
पल्लोनजी मिस्त्री ने 2003 में आयरिश मूल की महिला Patsy Perin Dubash से शादी की थी जिसके कारण पल्लोनजी मिस्त्री के साथ-साथ उनके दोनों बच्चे भी नागरिकता के हकदार बन गए. लेकिन मिस्त्री परिवार को उसी साल अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ी और आयरिश नागरिकता अपनानी पड़ी थी क्योंकि भारत सरकार ने दोहरी नागरिकता को मंजूरी नहीं दी थी. 1992 में साइरस मिस्त्री ने भारत के सबसे नामी वकीलों में से एक इकबाल छागला की बेटी रोहिका छागला से शादी की थी.
जब टाटा के शुरू हुआ विवाद
अध्यक्ष के रूप में मिस्त्री का कार्यकाल 2012 से लेकर अक्टूबर 2016 तक चला, जब उन्हें अचानक बर्खास्त कर दिया गया. मीडिया रिपोर्टों ने संकेत दिया कि बिजनेस से जुड़े फैसलों पर टाटा परिवार के सदस्यों के साथ असहमति के कारण ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया था. इसके बाद मिस्त्री ने बोर्ड पर कुप्रबंधन/मिसमैनेजमेंट और माइनॉरिटी शेयरधारकों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए हटाने के फैसले को चुनौती दी.
2018 में भारत के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन 2019 में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल द्वारा उस फैसले को पलट दिया गया. हालांकि दो साल बाद 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मिस्त्री की बर्खास्तगी को बरकरार रखा. इसके बाद भी साइरस मिस्त्री ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पेटिशन डाला था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 को खारिज कर दिया.
परिवार में पीछे कौन छूट गया ?
साइरस मिस्त्री के पिता पल्लोनजी मिस्त्री की जून 2022 में ही 93 साल की उम्र में मौत हो गई. बड़े भाई, शापूर मिस्त्री भी एक आयरिश नागरिक हैं और उनकी शादी बेहरोज सेठना से हुई है. मिस्त्री की दो बहनें भी हैं लैला (जिनकी शादी लंदन के पोर्टफोलियो फंड मैनेजर रुस्तम जहांगीर से हुई है) और अलू (जिनकी शादी रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा से हुई है).
साइरस मिस्त्री अपने पीछे अपनी पत्नी रोहिका छागला और दो बेटे फिरोज मिस्त्री, जहान मिस्त्री को छोड़ गए हैं.
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