जाने-माने जर्नलिस्ट, लेखक और कहानीकार नीलेश मिसरा के नाम से आप भी जरूर वाकिफ होंगे. उनकी रचनाएं अक्सर आम लोगों से कहीं न कहीं जुड़ी होती हैं. रेडियो पर किस्सागोई का उनका अंदाज तो एकदम ही जुदा होता है.
नीलेश मिसरा की ही मंडली के सदस्य हैं अनिल जीनगर, जिनकी लिखी एक कहानी है दास्तान-ए-इश्क.
सालों से जुम्मन मियां ने लॉटरी खरीदने की लत पाल रखी थी. बीस साल की उनकी मेहनत आखिरकार एक दिन रंग लाई और उनकी लॉटरी लग ही गई. हालांकि जुम्मन मियां को दौलत की इतनी चाहत नहीं थी. उन्हें बस अपने पुश्तैनी घर को अपने पड़ोसी असलम कुरैशी के घर से बड़ा बनवाना था. दोनों के बीच पिछले 20 सालों से दुश्मनी कायम थी.
लेकिन 20 साल पहले इन दोनों की दोस्ती की कसमें खाई जाती थीं. यहां तक कि जब जुम्मन की बेटी सकीना पैदा हुई, तो असलम ने अपने बेटे फिरोज का निकाह जुम्मन की बेटी के साथ कराने की बात कह दी थी. फिर वो मनहूस रात आई, जब जुम्मन की बहन के निकाह से ठीक एक रात पहले असलम का भाई भगाकर ले गया....
इसके बाद आगे क्या होता है, ये जानने के लिए सुनिए ये पूरी कहानी...
(ये कहानी Neelesh Misra के यूट्यूब चैनल से ली गई है)
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