करवा चौथ से जुड़े विज्ञापन पर बवाल होने पर डाबर (Dabur) ने इसे वापस ले लिया है. कंपनी ने 25 अक्टूबर को बयान जारी कर विज्ञापन वापस लेने की जानकारी दी है. डाबर ने लोगों की भावनाएं आहत होने पर लोगों से माफी मांगी है.
फेम के करवाचौथ कैंपेन को हमने हर सोशल मीडिया हैंडल से वापस ले लिया है. हम लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए बिना किसी शर्त के माफी मांगते हैं.''डाबर
इससे पहले मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने डाबर के विज्ञापन पर सवाल उठाए थे, उन्होंने डीजीपी को मामले की जांच करने को भी कहा. मिश्रा ने कंपनी से इस विज्ञापन को वापस लेने की भी मांग की थी.
आरएसएस से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य ने भी विज्ञापन को लेकर एक पोल किया है. इस पोल में सवाल है- करवा चौथ के परंपरागत स्वरूप को विकृत करते डाबर के विवादित विज्ञापन का कारण क्या है? वोटिंग में हिस्सा लेने वालों को 2 विकल्प दिए गए हैं- 1.हिन्दू त्योहार पर निशाना 2. विवाद से प्रचार का हथकंडा
क्यों हुआ विज्ञापन पर बवाल?
डाबर के फेयरनेस प्रोडक्ट फेम से जुड़े इस विज्ञापन में 2 लड़कियों के समलैंगिक जोड़े को करवा चौथ करते दिखाया गया था. इस विज्ञापन के बाद कुछ लोग डाबर कंपनी पर हिंदुओं के त्योहारों को जानबूझकर निशाना बनाने के आरोप लगा रहे थे. सोशल मीडिया पर डाबर का बायकॉट तक करने की मांग उठने लगी थी.
कुछ यूजर्स का कहना था कि इस विज्ञापन में प्रगतिशीलता का संदेश देने की कोशिश तो हुई है, लेकिन एक फेयरनेस उत्पाद को बढ़ावा देना अपने आप में नस्लवाद और रंगभेद को बढ़ावा देना है. इन दोनों वजहों से डाबर सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर था.
पहले दी थी सफाई
कंपनी ने हंगामा होने पर मामले में सफाई भी दी थी. 24 अक्टूबर को जारी बयान में कंपनी ने कहा था, ''डाबर और फेम एक ब्रांड के तौर पर विविधता, सबको साथ लेकर चलने में और बराबरी में विश्वास रखते हैं. अपने ऑर्गेनाइजेशन और समाज में इन मूल्यों के समर्थन पर हमें गर्व है.''
हम समझ सकते हैं कि हमारी चीजों से हर कोई सहमत नहीं हो सकता है, लेकिन अलग विचार रखने के उनके अधिकरी का सम्मान करते हैं. हमारी नीयत किसी भी धर्म, परंपरा आदि को आहत करने की नहीं हैं. अगर इसने किसी व्यक्ति या समूह को आहत किया है तो हम बिना किसी शर्त के माफी मांगते हैं. इस कैंपेन को समर्थन देने वाले लोगों के भी हम आभारी हैं.डाबर
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