रॉयटर्स के लिए काम करने वाले भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) की मौत को लेकर रॉयटर्स ने एक विस्तृत रिपोर्ट पब्लिश की है, जिसमें कहा गया है कि उनकी मौत कंफ्यूजन में पीछे छूटने के बाद हुई. अफगानिस्तान की स्पेशल ऑपरेशंस कॉर्प्स के मेजर-जनरल के हवाले से रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि स्पिन बोल्डक में सेना की वापसी के दौरान दानिश और दो जवान पीछे छूट गए थे.
16 जुलाई को स्पिन बोल्डक के पास अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच संघर्ष को कवर करते हुए दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई थी.
दानिश सिद्दीकी को अफगानिस्तान में अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच संघर्ष को कवर करने वाले अपने असाइनमेंट के हिस्से के रूप में अफगान स्पेशल फोर्स के साथ एंबेड (संघर्ष के दौरान मिलिट्री यूनिट के साथ पत्रकार को जोड़ना) गया था.
कंधार में सिद्दीकी को होस्ट करने के समय मेजर-जनरल हैबतुल्लाह अलीजई अफगानिस्तान के स्पेशल ऑपरेशंस कॉर्प्स के कमांडर थे.
रॉयटर्स जांच में क्या आया सामने?
रॉयटर्स की जांच में दानिश सिद्दीकी की मौत को लेकर नए खुलासे हुए हैं. हालांकि, कुछ चीजों पर संशय अभी भी बना हुआ है.
रॉयटर्स की जांच में दानिश सिद्दीकी की मौत को लेकर नए खुलासे हुए हैं. हालांकि, कुछ चीजों पर संशय अभी भी बना हुआ है.
दानिश सिद्दीकी को स्पेशल फोर्स द्वारा जल्दबाजी में पीछे हटने के बाद पीछे छोड़ दिया गया था, जिसके साथ वो जुड़े हुए थे. स्पेशल फोर्स ने गलती से सोचा था कि सिद्दीकी और उनके साथ दो सैनिक पीछे हटने वाले काफिले में शामिल हो गए थे.
हमवी के एक ड्राइवर ने दावा किया है कि उसने सिद्दीकी और दो अन्य को गोली लगते हुए देखा, जब वो पीछे हटने वाले काफिले की गाड़ियों की ओर भाग रहे थे.
रॉयटर्स ने ब्रिटिश बैलिस्टिक एक्सपर्ट फिलिप बॉयस से कंसल्ट किया, जिन्होंने हमले के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीरों की समीक्षा की और उनकी तुलना तालिबान से सिद्दीकी के शरीर को बरामद करने के बाद ली गई तस्वीरों और एक्स-रे से की. बॉयस ने कहा है कि सिद्दीकी की मौत के बाद उन्हें कई बार गोली मारी गई थी.
बॉयस हालांकि उन न्यूज रिपोर्ट्स को कंफर्म नहीं कर पाए, जिसमें दावा किया गया है कि उनके शरीर को एक वाहन ने कुचला था.
अफगान सुरक्षा बल जब पीछे छूट गए एक स्पेशल फोर्स मेजर के फोन से कॉन्टैक्ट कर पाए, तो फोन उठाने वाले ने खुद को तालिबान लड़ाके के रूप में बताया था. तालिबान के लड़ाके ने पूछा कि लड़ाई में भारतीयों को क्यों लाया जा रहा है. जब ऑफिसर ने बताया की शख्स एक भारतीय जर्नलिस्ट है और उसे नहीं मारने की गुजारिश की, तो तालिबान ने जवाब दिया: "हमने उसे मार दिया है."
रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती रिपोर्ट्स में कहा गया था कि सिद्दीकी, स्पिन बोल्डक में बाजार में तस्वीरें लेने की कोशिश करते समय गोलीबारी में मारे गए थे, लेकिन रॉयटर्स के साथ सिद्दीकी की बातचीत और एक अफगान स्पेशल फोर्स कमांडर से पता चलता है कि सिद्दीकी पहले एक रॉकेट से छर्रे से घायल हो गए थे. उन्हें इलाज के लिए स्थानीय मस्जिद ले जाया गया. और एक टॉप अफगान अधिकारी के मुताबिक, दो सैनिकों के साथ पीछे छूटने की कंफ्यूजन के बाद मारे गए.
सिद्दीकी की मौत से जुड़ी अन्य परिस्थितियां अभी भी साफ नहीं हुई हैं. अफगान सुरक्षा अधिकारियों और भारत सरकार के अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया था कि तस्वीरों, खुफिया जानकारी और सिद्दीकी के शरीर की जांच के आधार पर पता चला है कि उनकी मृत्यु के बाद तालिबान की हिरासत में उनके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया गया था. तालिबान इससे इनकार करता है.
दानिश का असाइनमेंट
ईमेल कम्यूनिकेशन ने संकेत दिया है कि दक्षिण एशिया में एडिटर्स को कंधार में सिद्दीकी को एंबेड करने के फैसले में शामिल नहीं किया गया था, और स्पिन बोल्डक मिशन को लेकर पहले से कोई जानकारी भी नहीं दी गई थी. स्पिन बोल्डक में शामिल होने के लिए दानिश के मिशन को 43 मिनट के ईमेल एक्सचेंज में फोटो एडिटर्स और रॉयटर्स के ऑपरेशंस मैनेजर से जुड़े एक ईमेल एक्सचेंज में मंजूरी दी गई थी, जो एशिया में भी बेस्ड नहीं थे.
दानिश की मौत के समय रॉयटर्स का काबुल या दक्षिण एशिया में कोई सिक्योरिटी एक्सपर्ट नहीं था, और मार्च में रिटायर हुए फुल-टाइम ग्लोबल सिक्योरिटी एडवाइडर की जगह भी अभी नहीं भरी गई है.
सिद्दीकी की मौत के बाद दक्षिण एशिया स्टाफ के साथ एक कॉल में, एग्जीक्यूटिव एडिटर जीना चुआ ने कहा कि सिद्दीकी को कंधार भेजने का फैसला लेने से पहले, रॉयटर्स की सिक्योरिटी टीम ने "इस तथ्य को ध्यान में रखा कि वो भारतीय थे" और रिस्क फैक्टर को समझा.
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