ADVERTISEMENTREMOVE AD

उज्जवला योजना को झटका,12 से अधिक राज्यों में घटने लगी है रिफिलिंग

उज्जवला योजना  के तहत गैस रिफिलिंग घटने का सीधा मतलब यह निकाला जा रहा है कि लोगों की उपभोग क्षमता कम हो रही है

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पीएम नरेंद्र मोदी का मास्टरस्ट्रोक कही जाने वाली उज्जवला योजना के लिए अच्छी खबर नहीं है. शुरुआत में इस योजना की रिकार्ड तोड़ सफलता के बाद अब सिलेंडर रिफिलिंग में गिरावट आने लगी है. मार्च, 2O18 में इस योजना का लाभ लेने वालों का सालाना रिफिलिंग औसत 3.66 (सिलेंडर) था. दिसंबर 2018 में यह घट कर यह 3.21 रह गया . सितंबर 2019 में तो यह और नीचे 3.08 पर पहुंच गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सिलेंडर रिफिलिंग का सालाना औसत आधा से भी कम

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक देश के एक दर्जन से ज्यादा राज्यों में इस योजना के तहत मुफ्त कनेक्शन लेने वालों को बीच सिलेंडर भरवाने का औसत आधा से भी कम हो चुका है. 2018-19 में सिलेंडर (14.2 किलो) भरवाने का औसत 6.25 रहा था. यानी साल भर में लोग 6.25 बार सिलेंडर भरवा रहे थे. लेकिन पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की स्टडी के मुताबिक अक्टूबर, 2018 से लेकर सितंबर 2019 के बीच रिफिलिंग खपत घट कर 3.08 सिलेंडर पर पहुंच गई. यह आंकड़ा मई 2016 से लेकर मई 2018 के बीच पीएम उज्जवला योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वालों का है.

इस महीने की शुरुआत में सीएजी का भी आकलन था कि सालाना औसत रिफिलिंग 3.66 पर पहुंच गई है. यानी लोग साल भर में 3.66 सिलेंडर ही भरवा रहे हैं. यह आंकड़ा 1.93 करोड़ उज्जवला उपभोक्ताओं का है. 31 दिसंबर 2018 तक 3.18 करोड़ उज्जवला लाभार्थियों के बीच रिफिलिंग औसत का आंकड़ा 3.12 सिलेंडर तक पहुंच गया था.

औसत सिलेंडर रिफलिंग (14.2 किलो)

  • आंध्र प्रदेश- 3.34
  • असम - 2.82
  • बिहार- 3.31
  • गोवा-3.94
  • गुजरात - 3.96
  • जम्मू-कश्मीर - 2.37
  • केरल - 3.49
  • मध्य प्रदेश - 2.35
  • तमिलनाडु - 3.33
  • महाराष्ट्र - 3.03
  • कर्नाटक - 3.53
  • ओडिशा - 2.65
  • पंजाब - 4.22
  • राजस्थान - 2.98
  • उत्तर प्रदेश - 3.28
  • पश्चिम बंगाल - 3.01
  • हरियाणा - 5.22
  • दिल्ली- 8.36
  • तेलंगाना - 2.85
ADVERTISEMENTREMOVE AD

उज्जवला योजना  के तहत गैस रिफिलिंग घटने का सीधा मतलब यह निकाला जा रहा है कि लोगों की उपभोग क्षमता कम हो रही है . उज्जवला योजना 1 मई, 2016 को शुरू की गई थी. इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की महिला सदस्यों को फ्री रसोई गैस कनेक्शन दिया जाता है. बहरहाल, गैस सिलेंडर भरवाने की संख्या में कमी से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का घाटा बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×