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हार्दिक का एंग्री यंग मैन स्टाइल, समर्थकों में ऐसे भरते हैं जोश

हार्दिक पटेल के इस तरीके कैसे बीजेपी को परेशान कर रखा है. उनकी रैलियों में भारी भीड़ की वजह क्या है.

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“जय सरदार- जय पाटीदार ...ये पीली टोपी पाटीदार की इज्जत और सम्मान है, ध्यान रखना इसे उछालना मत”

हार्दिक पटेल की रैली में ये वादा पाटीदार समुदाय से लिया जा रहा है और चारों तरफ पीली टोपी पहने लोग जोश में आकर इसकी हामी भर रहे हैं. रैली में ज्यादातर युवा हैं इनमें से अधिकतर शायद कॉलेज से पढ़कर निकले हैं.

जगह है सूरत, गुजरात की कमर्शियल कैपिटल. मंच तैयार है, इंतजार है पाटीदार आरक्षण आंदोलन में उभरे गुजरात के नेता हार्दिक पटेल का. ये रैली आम राजनीतिक रैलियों से अलग है, खासतौर पर बीजेपी या कांग्रेस की तो कतई नहीं लगती. इसमें मेले जैसा माहौल है. म्यूजिक कंसर्ट जैसा उत्साह है. स्टेज में कोई भी बुजुर्ग नहीं है.

भाषण चल रहा है और लोग बीच बीच में नारे लगाकर सुन रहे हैं. जैसे ही पाटीदारों के अधिकार की बात होती है तो लोग जोश में आ जाते हैं. तभी शोर बढ़ता है, वो खड़े हो जाते हैं क्योंकि अब एंट्री हुई है हार्दिक पटेल की.

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हार्दिक को सुनने भीड़ क्यों आ रही है?

हार्दिक पाटीदारों के सबसे बड़े नेता बन गए हैं लेकिन वो ये बताने के तमाम संकेत देते हैं कि वो भीड़ में से एक हैं. सादी सफेद शर्ट और ग्रे ट्राउजर. मंच में कुर्सियां लगी हैं लेकिन हार्दिक स्टेज की फर्श पर बैठ जाते हैं पूरी टीम भी कुर्सी छोड़ नीचे बैठ जाती है. कोशिश है ये बताने की कि उन्हें और उनकी टीम को कुर्सी यानी सत्ता का लालच नहीं है. वो सत्ता के लिए बीजेपी के खिलाफ नहीं आए हैं.

रैली में बोलने वाला हर व्यक्ति लोगों को बार बार याद दिलाता है कि बीजेपी को हराना पाटीदारों की इज्जत का सवाल है, इसलिए ध्यान रखना पाटीदारों की टोपी ना उछले.

जो बोला नहीं जा रहा उसे भी देखिए

अब सब कुछ तैयार है, भीड़ को हार्दिक के भाषण का इंतजार है. कई जोशीले नारों के बाद हार्दिक खड़े होते हैं और फिर जबरदस्त शोर बढ़ जाता है. हार्दिक बगैर किसी औपचारिकता के भाषण शुरू करते हैं. सीधे विषय पर आते हैं, स्टाइल आक्रामक और गुस्से वाली है. लोग नारे लगाते हैं, जागो पाटीदार जागो, दिल में बसा है हार्दिक. मंच से इशारा होता है और भीड़ कुछ शांत होती है

हार्दिक की इस रैली को बड़े ध्यान से देखें तो इसमें बहुत कुछ बोला जा रहा, पर बहुत कुछ ऐसा भी है जो बोला तो नहीं जा रहा है पर साफ दिख रहा है और ये बहुत कुछ कह रहा है.

बीजेपी जिन सिंबल का इस्तेमाल करती है हार्दिक की रैली में भी वो सब कुछ है. रैली में मंच पर जो पोस्टर लगा है उसमें भारत माता की तस्वीर है. सरदार पटेल की विशाल फोटो है. लेकिन साथ में भगतसिंह भी हैं. मतलब संकेत समझिए

पाटीदारों को भरोसा दिलाने की कोशिश है कि हम अपने सिद्धांतों से नहीं डिगे हैं. नारे आपको चिरपरिचित लगेंगे वंदेमातरम, जय जवान जय किसान और जय सरदार जय पाटीदार, भारत माता की जय

एंग्री यंग मैन हार्दिक पटेल

रैली में कई ऐसी बात हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रैली से अलग हैं. हार्दिक पटेल ने लोगों से बातचीत करने का अनोखा स्टाइल अपना लिया है. वो गुस्से में भाषण देते हैं लेकिन समर्थकों से सीधे कनेक्ट करते हैं. वो लोगों को आत्म सम्मान की याद दिलाते हैं.

हार्दिक के हर एक्शन पर भीड़ की नजर है. जैसे भाषण के बीच में वो रुकते हैं और अपनी सुरक्षा में लगे सिक्योरिटी कमांडे से कहते हैं “मोटा भाई आप पीछे आइए”. और भीड़ जोश में चिल्ला उठती है.

हार्दिक सीरियस रहते हैं वो कहते हैं बीजेपी ने सालों से मिल रहे पाटीदारों के समर्थन को उनकी मजबूरी मान लिया है. बीजेपी पाटीदार समाज की इज्जत नहीं कर रही है, हार्दिक फिर रुकते हैं “एक्स्कूज मी सर आप पीछे आ जाइए” वो अपनी सुरक्षा में लगे कमांडो से कहते हैं और भीड़ फिर एक्शन में आ जाती है. लोग हंसते हैं लेकिन हार्दिक की मुद्रा गंभीर और गुस्से वाली है. वो कहते हैं कि बहुत हो गया इतनी जोर से नारे लगाइए कि आवाज दिल्ली तक पहुंचे. मुट्ठी कचकचाई बंद करें 11 बार जय सरदार बोलें. जितनी बार हार्दिक बोलते हैं उतनी बार लोग जोर से जय सरदार नारे बोलते हैं.

हार्दिक के भाषण में दो ही भाव हैं गुस्सा और इमोशन. कोई चुटकी नहीं कोई हंसी मजाक नहीं. वो लोगों को याद दिलाते हैं पटेल प्रदर्शनकारियों पर पुलिस गोली बारी से मारे गए लोगों के बारे में. वो याद दिलाते हैं महिलाओं पर हुए कथित अत्याचारों के बारे में. वो लोगों से कहते हैं क्या आप इसे भूल सकते हो?

भाषण इसी के इर्द-गिर्द घूमता है कि साथियों की मौत याद रखिए. और बीजेपी ने पाटीदारों के समर्थन को उनकी मजबूरी समझ लिया है. वो पाटीदारों के समर्थन कोई वैल्यू नहीं देती,

हार्दिक का स्टाइल परंपरागत नेताओं की तरह नहीं है लेकिन जोश और गुस्सा है. वो कहते हैं अत्याचार को भूलना है तो यहां आने की जरूरत नहीं. उनके शब्दों पर गौर करिए “ये लड़ाई किसी को हराने की नहीं, खुद को जिताने की है”

संसाधन कम लेकिन स्मार्ट तरीका

अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का तरीका हार्दिक और उनकी टीम को आता है. इसलिए भाषण के दौरान वो कुछ वक्त के लिए रुकते हैं और सबसे कहते हैं वो गुजरात के दूसरे शहरों में रहने वाले फोन लगाएं और यहां की बात सुनाएं.

हार्दिक अपना फोन भी निकालते हैं फिर मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हैं वादा तो था 4 जी का लेकिन मोबाइल में तो 2जी सिग्नल भी नहीं आ रहे हैं.

अब एक और तरीका आजमाने की तैयारी है. हार्दिक सभी लोगों से कहते हैं मोबाइल हाथ में ले लें और टॉर्च या फ्लैश जला लें. वो खुद अपना फोन निकालकर टॉर्च जला लेते हैं. अब सबको शपथ दिलाई जाती है कि सब बीजेपी के खिलाफ वोट करेंगे. हार्दिक को भीड़ को कनेक्ट करने का तरीका बखूबी आता है. उन्होंने इस बार में विधानसभा चुनाव में एक्शन तो बढ़ा दिया है.

हालांकि ये तो 18 दिसंबर को ही पता चलेगा कि उनकी शपथ पर कितने पाटीदारों ने अमल किया क्योंकि बीजेपी का दावा है पाटीदार सुनेंगे सबकी, लेकिन करेंगे कमल की.

रैलियों में उमड़ी भीड़ और मिले रिस्पॉन्स ने हार्दिक पटेल को हीरो बना दिया है. अगर ये भीड़ वोट में बदली तो बीजेपी के लिए मुकाबला कड़ा होगा.

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