रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने युद्ध में हताहत हुए सुरक्षाबलों के परिवार को दिए जाने वाले मुआवजे में चार गुने का इजाफा किया है. युद्ध में हताहत होने की सभी श्रेणियों के लिए मौजूदा दो लाख रुपये से आठ लाख रुपये तक मुआवजा बढ़ाने को मंजूरी दी गई है. रक्षा मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि सिंह की ओर से सभी श्रेणियों के युद्ध में हताहत हुए सुरक्षाबलों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे में वृद्धि को मंजूरी दे दी गई है.
पहले और अब
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इससे पहले युद्ध के हताहतों के लिए व 60 फीसदी से अधिक दिव्यांग होने पर दो लाख रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान था. वहीं 60 फीसदी से कम दिव्यांग होने की स्थिति में एक लाख रुपये का प्रावधान था. मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि ये मदद पेंशन, सामूहिक बीमा योजना, सेना कल्याण निधि के आलावा दी जाती है. जवानों के परिवार को मिलने वाली ये राशि सेना युद्ध शहीद कल्याण निधि (एबीसीडब्ल्यूएफ) के तहत दी जाएगी.
रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि फरवरी 2016 में सियाचिन में 10 जवानों की शहादत के बाद भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (ईएसडब्ल्यू) ने एबीसीडब्लूएफ का गठन किया था. एबीसीडब्लूएफ की स्थापना जुलाई 2017 में की गई थी, लेकिन इसे अप्रैल 2016 से ही लागू कर दिया गया था. ये फंड चैरिटेबल इन्डाउमेंट्स एक्ट 1890 के तहत बनाया गया.
इसके अलावा, अलग-अलग रैंकिंग के अधिकारियों के परिजनों के लिए 25 लाख से 45 लाख रुपये के बीच और सेना सामूहिक बीमा के तहत 40 लाख से 75 लाख रुपये तक की राशि देने का प्रावधान पहले से है. सिंह ने गृहमंत्री रहते हुए शहीद या घायल हुए अर्धसैनिक कर्मियों के परिवारों की सहायता के लिए 'भारत के वीर फंड' की शुरुआत भी की थी.
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