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सेना में महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारी, रक्षामंत्री ने लिया ये फैसला

मिलिट्री पुलिस में एक जवान के तौर पर महिलाओं को शामिल करने का फैसला 

Published
भारत
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देश की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने महिलाओं के लिए बड़ा फैसला लिया है. रक्षामंत्री ने भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने की तरफ एक अहम कदम उठाया है. उन्होंने मिलिट्री पुलिस में एक जवान के तौर पर महिलाओं को शामिल करने का फैसला लिया है.

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सेना पुलिस में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी

पिछले दिनों जहां सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने महिलाओं को बॉर्डर पर तैनात करने और सेना को परंपरावादी बताया था, वहीं अब देश की रक्षामंत्री ने सेना में महिलाओं कद बढ़ाने की एक कोशिश की है. उन्होंने महिलाओं को सेना के मिलिट्री पुलिस कोर में 20 प्रतिशत हिस्सा देने की बात कही है. इसका मतलब अब मिलिट्री पुलिस में महिलाओं की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.

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क्या होता है मिलिट्री पुलिस का काम

मिलिट्री पुलिस का काम सेना के परिसरों की सुरक्षा व्यवस्था को देखना होता है. मिलिट्री पुलिस सेना के आवासीय परिसरों, सेना के अंदरूनी विवादों और सेना से जुड़ी अन्य तरह की शिकायतों का निपटारा करने के लिए होती है. शहरों में सेना से जुड़े सभी विभागों के बीच गश्त लगाना, किसी भी संदिग्ध से पूछताछ करना आदि भी सेना पुलिस का काम होता है.

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महिलाओं पर क्या बोले थे सेनाध्यक्ष?

इससे पहले जनरल बिपिन रावत ने बॉर्डर पर या युद्ध की स्थिति में महिलाओं को भेजे जाने पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि सेना परंपरावादी है. उन्होंने एक इंटरव्यू में कुछ लॉजिस्टिकल दिक्कतों का भी जिक्र किया. जैसे कि अगर किसी युद्ध क्षेत्र में महिला को कमांड दी गई और इस बीच में अगर वे मातृत्व अवकाश मांगती हैं, तो क्या होगा. साथ ही अगर महिला कमांडर के नेतृत्व में एक टुकड़ी लंबे ट्रैक पर जा रही है, तो महिला अफसर के सोने का बंदोबस्त अलग से करना होगा. या उनके कपड़े बदलने के लिए किसी जगह को घेरकर तैयार करना होगा. सेनाध्यक्ष के इस बयान पर विरोध भी हुआ था.

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