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दिल्ली अग्निकांड:मरने से पहले वो आखिरी कॉल-‘अब्बू बचा लीजिए’ 

दिल्ली अग्निकांड:मरने से पहले वो आखिरी कॉल- ‘बच्चों का ख्याल रखना’

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

अब्बू बहुत डर लग रहा है. फैक्ट्री में आग लग गई है. बचना मुश्किल लग रहा है. हमें बचा लो.

नहीं है कोई रास्ता.. भागने का रास्ता नहीं है. खत्म हूं मैं भइया आज तो. मेरे घर का ध्यान रखना. अब तू ही है उनका ख्याल रखने वाला.” ये रूह कंपा देने वाली दर्दनाक आवाजें दिल्ली के अनाज मंडी इलाके के उन लोगों की है जिन्होंने अपनी आखिरी सांस गिनते वक्त अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से कही थीं.

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दिल्ली अग्निकांड:मरने से पहले वो आखिरी कॉल- ‘बच्चों का ख्याल रखना’

वो आखिरी कॉल - "सांस लेना मुश्किल हो रहा है, अब नहीं बचेंगे"

रविवार को दिल्ली के अनाज मंडी इलाके में एक फैकट्री में आग लगने से 43 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में बिहार और उत्तर प्रदेश के कई मजदूर काम करते थे. इसी फैकट्री में काम करने वाले उत्तर प्रदेश के बिजनौर के मुशर्रफ की भी मौत हुई है. मुशर्रफ पिछले 10 सालों से फैक्ट्री में बैग बनाने का काम करता था.

आग से चारों तरफ से घिरा मुशर्रफ जिंदगी के आखिरी पल में अपनी पत्नी से बात करना चाहता था. लेकिन कॉल नहीं लगने की वजह से आखिरी वक्त में भी वो अपनी पत्नी से बात नहीं कर सका. लेकिन इसी मौत और जिंदगी की लड़ाई के बीच मुशर्रफ ने अपने गांव के एक दोस्त को कॉल किया.
दिल्ली अग्निकांड:मरने से पहले वो आखिरी कॉल- ‘बच्चों का ख्याल रखना’

मुशर्रफ ने अपने दोस्त को फोन कर कहा, "मोनू, भैया खत्म होने वाला हूं आज मैं...आग लगने वाली है यहां. तुम आ जाना करोलबाग. ...

मोनू- कहां, दिल्ली?

मुशर्रफ- हां..

मोनू- तुम किसी तरह निकलो वहां से...

मुशर्रफ- नहीं है कोई रास्ता.. भागने का रास्ता नहीं है. ख़त्म हूं मैं भइया आज तो. मेरे घर का ध्यान रखना. अब तू ही है उनका ख्याल रखने वाला.

इसी बीच मुशर्रफ कहता है-

अब तो सांस भी नहीं लिया जा रहा है. मौत करीब थी लेकिन मुशर्रफ को परिवार की चिंता थी. मुशर्रफ बार-बार अपने बच्चों का ख्याल रखने की बात कर रहा था.

इसी बीच मोनू पूछता है आग कैसे लगी..

मुशर्रफ- पता नहीं..

मोनू- पुलिस, फायर ब्रिगेड किसी को फोन करो और निकलने की कोशिश करो...

लेकिन दम घुटने की बात करते-करते फोन कट जाता है. फिर मुशर्रफ की आवाज हमेशा के लिए बंद हो जाती है.

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"अब्बू अब बचने की उम्मीद नहीं है"

मुशर्रफ की तरह ही मुरादाबाद के इकराम और इमरान भी इसी कारखाने में काम करते हैं. इकराम के भाई मौहम्मद रिजवान बताते हैं कि सुबह चार बजे कॉल आया कि अब्बू बचा लीजिए, अब बचना मुश्किल है. अब्बू ने कहा, अल्लाह पर यकीन रखो. इमरान ने आखिरी कॉल पर अपने अब्बू से कहा,

“चारों तरफ से आग लग चुकी है, अब बचने की उम्मीद नहीं है.”

फिर इमरान का फोन कट गया. कितना भी फोन किया बात नहीं हुई. फिर मौत की खबर आई.

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8 दिसंबर 2019 को अनाज मंडी अग्निकांड में मारे गए इमरान की फोटो दिखाते रिश्तेदार. 
(फोटो: क्विंट हिंदी)
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"बच्चों का ख्याल रखना"

अनाजमंडी की आग में झुलस कर एक और शख्स शाकिर की मौत हो गई. आग से घिरने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को फोन किया और कहा,

मैं अपने दोस्त को बचाने की कोशिश में बहुत ज्यादा झुलस चुका है.अब मेरे बचने की उम्मीद नहीं है. बच्चे का ख्याल रखना.

28 साल के शाकिर के तीन बच्चे हैं. साथ ही उसकी पत्नी गर्भवती हैं. शाकिर बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले थे. वो अपने भाई और पिता के साथ दिल्ली में रहते थे.पिता और बड़े भाई दिल्ली में ही रिक्शा चलाकर कर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं.

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बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस हादसे में मारे गए लोगों के परिवार को दस लाख रुपये देने का ऐलान किया है. घायलों को एक लाख रुपये दिए जाएंगे.साथ ही पीएम मोदी ने भी दो लाख रुपए मुआवजा का ऐलान किया है. लेकिन बस एक ही सवाल है कि क्या मुआवजा मौत की कहानी भुला देगी? क्या मारे गए लोग वापस आ पाएंगे? कब तक इस तरह के हादसे होते रहेंगे और सरकार बेखबर सोती रहेगी?

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