दिल्ली के बुराड़ी में 11 लोगों की मौत की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ सकी है. सभी 11 लोगों का पोस्टमाॅर्टम हो गया है, जिनसे ये पता चला है कि उन लोगों की मौत फांसी के फंदे पर लटकने से हुई है. किसी के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले है. मृतकों के साथ किसी तरह की जोर-जबर्दस्ती के संकेत नहीं मिले हैं. दूसरी ओर मृतक परिवार के करीबी रिश्तेदार का कहना है ये हत्या का मामला है, इसका बाबाओं से कोई लेना-देना नहीं है.
पुलिस इस घटना की तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास की दृष्टि से भी जांच कर रही है. पुलिस के मुताबिक, पूरा परिवार किसी बाबा को मानता था. उनका कहना है कि परिवार का कोई बड़ा सदस्य इस चक्कर में पड़ गया था और फिर बाकी सभी सदस्य उसे फॉलो कर रहे थे. पुलिस को मृतकों के मोबाइल से किसी बाबा का क्लू भी मिला है.
वहीं मृतक परिवार की एक रिश्तेदार सुजाता का कहना है कि किसी ने उन सभी लोगों की हत्या की है और आध्यात्मिक एंगल वाली सभी बातें झूठी है. सुजाता ने बताया कि हंसता खेलता परिवार था, उन्हें कोई परेशानी नहीं थी और बाबाओं पर उन्हें बिल्कुल भरोसा नहीं था.
घर के बाहर पसरा मातम
- 01/05मृतक भाइयों की दुकानों के बाहर बैठे लोग(फोटो: द क्विंट, पूनम अग्रवाल)
- 02/05(फोटो: द क्विंट, पूनम अग्रवाल)
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11 लोगों की मौत का दिन और समय पहले से तय था?
'पट्टियां अच्छे से बांधनी है. शून्य के अलावा कुछ नहीं दिखना चाहिए. रस्सी के साथ सूती चुन्नियां या साड़ी का प्रयोग करना है.' एक डायरी में लिखीं ये बातें बुराड़ी के संत नगर इलाके के उस घर से मिली है जहां रविवार को 11 लोगों का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मौत की गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस की टीम को कोई सुसाइड नोट तो नहीं मिला है, लेकिन एक डायरी मिली है, जिसमें मोक्ष की प्राप्ति, भगवान के पास जाने और मरने के तरीके लिखे हैं.
घर से बरामद उस डायरी में कई धार्मिक रहस्यमयी बातें लिखी मिलीं है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ये डायरी दिसंबर से लिखना शुरू किया गया था. आखिरी बार 26 जून को इस डायरी में लिखा गया था कि 30 जून को भगवान से मिलना है. शरीर नश्वर है और आत्मा अमर.
डायरी में मरने के तरीके का भी जिक्र
डायरी में मोक्ष की प्राप्ति को लेकर लिखा है कि 'क्रिया' कैसे करें. साथ ही डायरी में क्रिया का समय भी बताया गया है. क्रिया के लिए रात एक बजे का वक्त चुना गया था. डायरी में लिखा था,
सात दिन बाद पूजा लगातार करनी है. थोड़ी लगन और श्रद्धा से. कोई घर में आ जाए तो अगले दिन. गुरुवार या रविवार को चुनिए. हाथ-मुंह ढंककर अपने डर से उबरा जा सकता है. सबकी सोच एक जैसी होनी चाहिए. पहले से ज्यादा ढृढता से. ये करते ही तुम्हारे आगे के काम ढृढता से शुरू होंगे.
“क्रिया के दौरान रोशनी करें कम”
डायरी में क्रिया के दौरान घर में मद्धम रोशनी करने को कहा गया है. इसके अलावा लिखा है, 'हाथों की पट्टियां बच जाए तो उसे आंखों पर डबल कर लेना. मुंह की पट्टी को भी रूमाल से डबल कर लेना. जितनी ढृढता और श्रद्धा दिखाओगे उतना ही उचित फल मिलेगा.'
डायरी में लिखी बातें और मौत का तरीका एक जैसा
पुलिस के मुताबिक मरने वालों के शव जिस हालत में मिले हैं ठीक वैसी ही बातें डायरी में भी लिखी है. हर तीन शव एक साथ लटकी मिली हैं. उनके मुंह और आंखों पर पट्टी लगी हुई थी, साथ ही हाथ-पैर भी बंधे हुए थे . वहीं 75 साल की एक महिला का शव दूसरे कमरे में जमीन पर पड़ा था. डायरी में महिला के बारे में लिखा था कि बेबे (नारायणी) खड़ी नहीं हो सकती हैं तो अलग कमरे में लेट सकती हैं.
दिल्ली के एडिशनल डीसीपी विनीत कुमार ने कहा,
संयोग से, डायरी में लिखी बातों और जो हुआ है उसमें मजबूत समानता है. जिस तरीके से मृतकों के मुंह, आंखें बंधे और टेप लगे थे. इन सबको देखते हुए पुलिस अब इस एंगल से भी जांच कर रही है.
अंधविश्वास में जकड़ा हुआ था परिवार
मृतक परिवार के घर के पीछे दीवार पर 11 पाइप मिले है. खास बात ये है कि घर में मरने वालों की संख्या भी 11 है और इन पाइप को इस्तेमाल के लिए नहीं लगाया गया है. इसलिए इन पाइपों को भी मौत से जोड़कर देखा जा रहा है. इसके अलावा घर की दीवार में लगे 11 पाइपों में से 7 मुड़े है और 4 सीधे है. वहीं मरने वालों में 7 महिलाएं और 4 पुरुष हैं.
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