चंडीगढ़ (Chandigarh) में किसानों के साथ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा की 5 घंटे से अधिक की बैठक बेनतीजा रही. किसानों की मुख्य मांग फसलों के अधिकतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कोई समाधान नहीं हुआ. जिसके बाद किसान 13 फरवरी यानी आज सुबह किसान दिल्ली कूच के लिए प्रदर्शनकारी किसान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब पहुंचे. वे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में दिल्ली के लिए निकल गए हैं. वहीं, शंभू बॉर्डर से भी किसानों ने दिल्ली के लिए कूच किया है.
संगरूर के महिला चौक गांव में डेरा डाले हुए किसानों ने 2020-21 में अपने विरोध प्रदर्शन की तरह ही इस बार भी पूरी तैयारी की है. किसानों इस मार्च के लिए खाना और अन्य आवश्यक वस्तुओं को लेकर निकले हैं. अधिकांश प्रदर्शनकारी किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से है.
इधर, प्रशासन ने हरियाणा में मार्च को रोकने के लिए कंक्रीट ब्लॉकों, लोहे की कीलों और कंटीले तारों का उपयोग करके पंजाब के साथ सीमा क्षेत्रों की किलेबंदी कर दी है.
राजस्थान के बीकानेर के 3 जिलों में इंटरनेट बंद
किसानों के जारी विरोध प्रदर्शन के बीच राजस्थान के बीकानेर संभाग के हनुमानगढ़, गंगानगर और अनूपगढ़ में इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया गया है.
बता दें कि खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा सहित केंद्रीय मंत्रियों ने चंडीगढ़ में महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में किसान नेताओं के साथ दूसरे दौर की वार्ता की. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अर्जुन मुंडा ने कहा कि बातचीत से मुद्दों का समाधान निकाला जा सकता है. उन्होंने कहा, ''हम अब भी आशावान हैं और बातचीत का स्वागत करते हैं.''
चार घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर सहित अन्य लोग शामिल हुए.
इससे पहले केंद्रीय मंत्रियों के साथ पहली बैठक 8 फरवरी को हुई थी, जिसमें किसान संगठनों के नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा हुई थी.
किन-किन बातों पर बनी सहमति-असहमति?
12 फरवरी की रात 11 बजे के बाद दोनों पक्षों के बीच बिजली कानून 2020 को रद्द करने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने और किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर सहमति बनी.
लेकिन तीन प्रमुख मांगों पर कोई सहमति नहीं बन पायी. यह है सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए एक कानून बनाना, किसान ऋण माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना.
कई किसान नेताओं के ट्विटर अकाउंट सस्पेंड
सरकार किसान नेताओं से बातचीत कर मार्च रोकने में जुटी है. वहीं, मीटिंग में बैठे किसान नेताओं के ट्विटर अकाउंट भी सस्पेंड कर दिए हैं. किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार बातचीत के प्रति ईमानदार नहीं है.
"सरकार ईमानदार नहीं"
आधी रात से ठीक पहले बैठक समाप्त होने के बाद किसान मजदूर संघर्ष समिति के सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 'दिल्ली चलो' मार्च जारी है. किसानों के एक प्रतिनिधि ने संवाददाताओं से कहा,
"दो साल पहले, सरकार ने हमारी आधी मांगों को लिखित रूप में पूरा करने का वादा किया था... हम इस मुद्दे को शांति से हल करना चाहते थे. लेकिन सरकार ईमानदार नहीं है. वे सिर्फ समय बर्बाद करना चाहते हैं."
दिल्ली पुलिस ने लगाया प्रतिबंध
दिल्ली पुलिस ने मार्च को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाया है. सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस की भारी मौजूदगी है. पुलिस ने सार्वजनिक बैठकों और शहर में प्रवेश करने वाले ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया है.
इन क्षेत्रों में बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने वाले निषेधाज्ञा आदेश घोषित किए गए हैं. अधिकांश सड़कों को कंक्रीट ब्लॉकों और कंटीले तारों से बंद कर दिया गया है. व्यावसायिक वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है.
हरियाणा में अधिकारियों ने अंबाला, जिंद, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र और सिरसा सहित कई स्थानों पर पंजाब के साथ राज्य की सीमाओं को मजबूत कर दिया है. सड़कों पर बैरिकेडिंग करने और प्रदर्शनकारियों को राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों का इस्तेमाल किया गया है.
हरियाणा ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान के खिलाफ 2021 कानून भी लागू किया है, जिसके तहत अपराधियों को भुगतान करना होगा. राज्य के गृह विभाग ने सिविल और पुलिस अधिकारियों को नियम का पालन करने का निर्देश दिया है.
दिल्ली सरकार ने अस्थायी जेल बनाने के प्रस्ताव को किया खारिज
केंद्र सरकार ने दिल्ली के बवाना स्टेडियम को अस्थाई जेल बनाने का प्रस्ताव भेजा था. केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में लेने पर या गिरफ्तार करने पर यहां रखने की तैयारी की थी. लेकिन इस बीच, दिल्ली सरकार ने किसानों को रखने के लिए स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.
किसान क्यों कर रहे विरोध?
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा ने 'दिल्ली चलो' मार्च का ऐलान किया था. 2020-21 में साल भर चले आंदोलन के बाद सरकार के घुटने टेक दिये और कृषि कानूनों को वापस ले लिया था.
किसान मजदूर मोर्चा, जिसमें 250 से अधिक किसान यूनियनों जुड़े हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य 150 यूनियनों का एक मंच ने दिसंबर में विरोध प्रदर्शन बुलाया. पंजाब के इन किसानों के विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार को दो साल पहले किए गए वादों की याद दिलाना है.
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