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दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में 25 मरीजों की मौत, अब पहुंची ऑक्सीजन

अस्पताल ने कहा है कि ऑक्सीजन अगले दो घंटे की ही बची है

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भारत
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कोरोना वायरस महामारी की वजह दिल्ली के अस्पतालों का हाल-बेहाल है. रोजाना कई अस्पताल ऑक्सीजन और बेड की कमी की शिकायतें कर रहे हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर दो दिनों से सुनवाई चल रही है. इसी बीच 23 अप्रैल को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल ने बताया कि पिछले 24 घंटों में 25 सबसे बीमार मरीजों की मौत हो गई है.

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अस्पताल में इतनी मौतों के बाद अब ऑक्सीजन टैंकर पहुंचा है.

अस्पताल के डायरेक्टर-मेडिकल ने 23 अप्रैल की सुबह कहा था कि ऑक्सीजन अगले दो घंटे की ही बची है. उन्होंने कहा कि वेंटीलेटर और बाइपेप भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं.

सर गंगा राम अस्पताल ने ऑक्सीजन को तुरंत एयरलिफ्ट के जरिए उन तक पहुंचाने की मांग की थी. डायरेक्टर-मेडिकल ने कहा, “बाकी 60 सबसे बीमार मरीजों की जान खतरे में है.”

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि मौतों के लिए लो-प्रेशर ऑक्सीजन जिम्मेदार हो सकती है. डायरेक्टर-मेडिकल ने कहा कि ICU और इमरजेंसी डिपार्टमेंट में मैनुअल वेंटिलेशन किया जा रहा है.

22 अप्रैल को अस्पताल ने दिल्ली सरकार को SOS भेजा था. अस्पताल ने कहा था कि उसके पास सिर्फ पांच घंटों की ऑक्सीजन बची है और तुरंत सप्लाई की मांग की थी.  

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अस्पताल एक एक अधिकारी ने कहा था, "रात 8 बजे अस्पताल के स्टोर में सिर्फ रात 1 बजे तक की ऑक्सीजन बची है और हाई फ्लो इस्तेमाल के लिए कम है."

केंद्रीय दिल्ली स्थित गंगाराम अस्पताल में 510 कोरोना वायरस मरीज भर्ती हैं. इनमें 142 मरीज हाई फ्लो ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे.

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ऑक्सीजन पर अदालती कार्रवाई और MHA का आदेश

22 अप्रैल को ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी. इसके अलावा गृहमंत्रालय ने आदेश जारी कर कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन की मूवमेंट पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं होगा.

दिल्ली हाई ने 22 अप्रैल को भी एक प्राइवेट हॉस्पिटल की ऑक्सीजन शॉर्टेज वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि ऑक्सीजन की सप्लाई और मूवमेंट पर गृह मंत्रालय के आदेश को लागू किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा- ऑक्सीजन की सप्लाई में कोई भी बाधा नहीं आनी चाहिए और ऑक्सीजन ले जाने वाले ट्रकों को सुरक्षा दी जानी चाहिए.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि- 'सरकार चाहे तो जमीन-आसमान एक कर सकती है'.

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