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दिल्ली: बाहरी लोगों का इलाज हुआ तो 3 दिन में भर जाएंगे बेड-रिपोर्ट

दिल्ली सरकार के पैनल की एक रिपोर्ट में दिया गया है सुझाव, सिर्फ दिल्ली के ही लोगों का इलाज संभव

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कोरोना वायरस का कहर भारत में लगातार जारी है. राजधानी दिल्ली में भी इस महामारी का असर देखने को मिल रहा है. यहां रोजाना करीब एक हजार से ज्यादा कोरोना केस सामने आ रहे हैं. इसी बीच सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वो हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों के लिए बेड होने का गलत दावा कर रही है. वहीं दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि अभी भी 5 हजार बेड खाली पड़े हैं. इसी बीच दिल्ली सरकार के पैनल की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसने बताया है कि दिल्ली में सिर्फ दिल्ली के ही लोगों का इलाज किया जाना चाहिए.

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बेड्स को लेकर निशाने पर दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार लगातार कोरोना मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड की सुविधा को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. दिल्ली में कोरोना मामलों की रफ्तार ने सरकार की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा दी हैं. इसीलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले हफ्ते कहा था कि दिल्ली में अगर बाहरी लोग इलाज कराने आते हैं तो बेड्स को लेकर समस्या आ सकती है. इसे लेकर केजरीवाल ने लोगों से एक हफ्ते में सुझाव भी मांगे थे. लेकिन सरकार ने इसके लिए एक पैनल भी बनाया था. जिसने अब अपनी रिपोर्ट सौंपी है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस पैनल ने सरकार को सुझाव दिया है कि यहां फिलहाल सिर्फ उन्हीं लोगों का इलाज किया जाना चाहिए जो दिल्ली में रहते हों. पैनल ने कहा है,

दिल्ली का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा है कि यहां पर सिर्फ दिल्ली के निवासियों का ही इलाज किया जाना चाहिए. अगर इस वक्त दिल्ली में बाहरी लोगों का इलाज शुरू कर दिया गया तो सिर्फ तीन दिन में ही दिल्ली के सारे बेड्स भर जाएंगे.

प्राइवेट अस्पतालों को चेतावनी

लगातार लग रहे आरोपों के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन आरोपों का जवाब दिया. केजरीवाल ने अस्पतालों पर आरोप लगाया कि वो कालाबाजारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए हम दिल्ली सरकार का एक मेडिकल प्रोफेशनल हर अस्पताल में तैनात कर रहे हैं. अस्पताल में बेड की उपलब्धि की सही जानकारी Delhi Corona ऐप पर देना और जरूरतमंदों का एडमिशन करवाना उनकी जिम्मेदारी होगी.

"इसके अलावा कम टेस्टिंग को लेकर उठ रहे सवालों पर केजरीवाल ने कहा, "हम चाहे जितनी टेस्टिंग कैपेसिटी बढ़ा दे, अगर बिना लक्षण के मरीज टेस्ट करवाने पहुँच जाएंगे तो किसी न किसी गंभीर लक्षण वाले मरीज का टेस्ट उस दिन रुक जाएगा. इस बात को सभी को समझना बहुत जरूरी है. सिर्फ लक्षणों वाले मरीजों को ही टेस्ट करवाना चाहिए."

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