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बटर चिकन और दाल मखनी किसकी, दरियागंज या मोती महल? दिल्ली HC करेगा फैसला

Delhi HC: ये दोनों रेस्टोरेंट पिछले दो साल से इन दो डिशों पर अपना दवा करते आये हैं.

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Delhi HC: बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किसने किया? अब इसका फैसला दिल्ली हाईकोर्ट करेगी. बार एंड बेंच ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय मोती महल रेस्टोरेंट और दरियागंज रेस्टोरेंट के इन दो फेमस डिशों को लेकर चल रहे विवाद का निपटारा करेगी. दरअसल, ये दोनों रेस्टोरेंट पिछले दो साल से इन दो डिशों पर अपना दवा करते आये हैं.

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क्या मामला है?

मोती महल के मालिकों ने "बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक" के टैगलाइन का यूज करने पर दरियागंज के मालिकों पर मुकदमा दायर किया है."

मोती महल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया कि यह उनके पूर्वज स्वर्गीय कुंदन लाल गुजराल थे जिन्होंने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया था. दरियागंज रेस्टोरेंट लोगों को गलत जानकारी दे कर गुमराह कर रहा है.

मोती महल ने अपने मुकदमे में कहा, "दाल मखनी का आविष्कार बटर चिकन के आविष्कार से निकटता से जुड़ा हुआ है. उन्होंने (गुजराल ने) काली दाल के साथ वही नुस्खा लागू किया और लगभग उसी समय दाल मखनी को ईजाद किया."

मुकदमा कब दायर किया गया था?

यह मामला 16 जनवरी को न्यायमूर्ति संजीव नरूला के समक्ष सुनवाई के लिए आया. अदालत ने समन जारी किया था और दरियागंज रेस्तरां मालिकों को एक महीने के भीतर मुकदमे पर अपना लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था. समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि अदालत ने मामले को 29 मई की तारीख दी है.

मुकदमे में क्या कहा गया?

अपने मुकदमे में, मोती महल ने दावा किया कि गुजराल, जिन्होंने पहला तंदूरी चिकन बनाया था. आजादी के बाद बटर चिकन और दाल मखनी बनाई और विभाजन के बाद इसे भारत लेकर आये. दरियागंज रेस्टोरेंट के मालिकों का दावा है कि उनके पूर्वज स्वर्गीय कुंदन लाल जग्गी ने इन डिश को बनाया था. वहीं, मोती महल के मालिकों का कहना है कि उनके पूर्वज स्वर्गीय कुंदन लाल गुजराल ने इन व्यंजनों को पहली बार बनाया था.

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि पुराने समय में जो चिकिन बिक नहीं पाता था, उसे रेफ्रीजेरेटर में नहीं रखा जा सकता था. इसलिए गुजराल को अपने पके हुए चिकन के सूखने की चिंता होने लगी और फिर उन्होंने एक सॉस का आविष्कार किया, जिसके साथ वह उन्हें फिर से हाइड्रेट कर सकते

“दाल मखनी का आविष्कार बटर चिकन के आविष्कार से निकटता से जुड़ा हुआ है. उन्होंने (गुजराल) ने काली दाल के साथ भी यही नुस्खा लागू किया और लगभग उसी समय दाल मखनी की खोज की''

दरियागंज ने कैसे प्रतिक्रिया दी?

हालांकि दरियागंज ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है, लेकिन इसके वकील 16 जनवरी को अदालत के सामने पेश हुए और आरोपों का जोरदार विरोध किया और इसे "निराधार" बताया.

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