दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को डिजिटल न्यूज मीडिया गाइडलाइंस को लेकर क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड की एक याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने विवादित इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली क्विंट की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है.
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की एक खंडपीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और इसे 'द वायर' के प्रकाशक द्वारा इन्हीं नियमों के खिलाफ दायर एक याचिका के साथ जोड़ दिया. बेंच ने सुनवाई की अगली तारीख 16 अप्रैल रखी है और याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
द क्विंट की निदेशक और को-फाउंडर ऋतु कपूर भी मामले में याचिकाकर्ता हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने नियमों के भाग 3 (जो डिजिटल न्यूज मीडिया पर है) के तहत याचिकाकर्ताओं के लिए अंतरिम सुरक्षा की मांग की, जिसपर बेंच ने कहा कि वह इसे अभी मंजूरी नहीं दे सकते. हालांकि बेंच ने कहा कि अगर कोई कठोर कदम उठाए जाते हैं, तो याचिकाकर्ता तत्काल राहत मांगने के लिए स्वतंत्र होंगे.
एडवोकेट प्रसन्ना एस और विनोत्थना विंजम के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि नए नियम भारत के संविधान के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के मुताबिक भी ठीक नहीं हैं और डिजिटल न्यूज मीडिया पर अनुचित और मनमाना प्रतिबंध लगाते हैं. याचिका में कहा गया है कि जब आईटी एक्ट के तहत डिजिटल मीडिया नहीं आता, तो उसी पर आधारित इन नियमों से डिजिटल मीडिया को कैसे रेगुलेट कर सकते हैं.
केंद्र ने जारी की थी गाइडलाइन
बता दें कि सरकार की तरफ से सोशल मीडिया, डिजिटल न्यूज मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए एक गाइडलाइन जारी की गई थी. जिसे इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021) का नाम दिया गया है.
इन गाइडलाइन्स के दायरे में Facebook, Twitter, instagram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, Netflix, Amazon Prime, Hotstar जैसे OTT प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल न्यूज वेबसाइट आएंगी.
याचिका में कहा गया है,
“ये नियम आर्टिकस 19 (1) (ए) और आर्टिकल 14. के विपरीत हैं. अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक सिर्फ आर्टिकल 19 (2) के प्रावधानों के तहत ही किया जा सकता है. डिजिटल न्यूज पोर्टल जैसे क्विंट पहले से ही लागू सभी नागरिक और आपराधिक कानूनों के अधीन हैं. इसलिए, आईटी नियम, 2021 सीधा सरकार द्वारा डिजिटल न्यूज पोर्टलों के कंटेंट पर नियंत्रित करने के लिए लाया गया है.
याचिका में कहा गया है, "आईटी नियम, 2021 साफ तौर पर अन्यायपूर्ण हैं, क्योंकि ये नियंत्रण के लिए समानांतर और कानून से परे सिस्टम को बनाते हैं, जिसके शीर्ष पर केंद्र सरकार है. ये अधिकारों के बंटवारे के वसूल के भी खिलाफ है.
गाइडलाइन्स के मुताबिक डिजिटल मीडिया को प्रेस काउंसिल, केबल टीवी एक्ट के नियमों का पालन करना होगा. थ्री लेवल शिकायत निवारण सिस्टम बनाना होगा. रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट जज या कोई बेहद प्रतिष्ठित इंसान वाली सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी और साथ ही सरकार कोई ऐसा सिस्टम बनाएगी जो इन सबकी निगरानी करेगा.
बता दें कि अभी हाल ही में लीगल मीडिया पोर्टल लाइव लॉ इंडिया की एक याचिका पर सुनवाई के बाद केरल हाईकोर्ट ने भी केंद्र को नोटिस जारी किया था. याचिका में नए आईटी नियमों की वैद्यता को चुनौती दी गई है.
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