दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) के आवासीय हिस्से की चाबी दो दिन के भीतर तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना मुहम्मद साद को सौंपने को कहा है. कोर्ट ने मौलाना साद की मां खालिदा की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया. जस्टिस योगेश खन्ना ने साथ ही मौलाना साद को निर्देश किया कि अगले आदेश से पहले किसी दूसरे हिस्से में प्रवेश न किया जाए.
याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को 168, बस्ती हजरत निजामुद्दीन, नई दिल्ली 13 में याचिकाकर्ता के आवासीय परिसर की चाबियां तुरंत सौंपने और परिसर में प्रवेश से बचने के लिए निर्देश देने की मांग की.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस योगेश खन्ना ने पुलिस से कहा, "क्या? कौन सा सेक्शन लगा रखा है आपने? आप धारा 60 (इंडियन एविडेंस एक्ट) और धारा 310 (CrPC) कह रहे हैं... धारा 60 कुछ और है. किसी साइट को संरक्षित करने का मतलब ये नहीं है कि आपको उस पर ताला लगाना होगा. आप तस्वीरें लेते हैं, सब कुछ करते हैं और फिर हट जाते हैं. ये क्या है?"
कोर्ट ने कहा, "हम वहां रहने वाले लोगों को उनके अपने घरों के अलावा किसी गेस्ट हाउस या किसी दूसरी जगह रहने की अनुमति नहीं दे सकते."
याचिकाकर्ता ने कहा कि कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन उन्हें और उनके परिवार को कारण या किस अधिकार के तहत, उन्हें अपने आवास में प्रवेश करने से रोका जा रहा है, इसके बारे में नहीं बताया गया है. याचिका में कहा गया है कि परिवार दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर हैं.
निजामुद्दीन मरकज, जिसमें एक मस्जिद, एक मदरसा और आवासीय हिस्सा शामिल है, पिछले साल तबलीगी जमात आयोजन को लेकर विवाद और एफआईआर दर्ज होने के बाद से काफी हद तक बंद है. एफआईआर में पिछले साल मार्च में हजरत निजामुद्दीन में मस्जिद में एक कथित धार्मिक आयोजन कर कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप लगाया था.
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