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दिल्ली में बीजेपी के क्लीन स्वीप की क्या रही वजह, कांग्रेस- AAP से कहां हुई चूक?

Delhi Lok Sabha Election Result: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के दिल्ली में एक साथ चुनाव लड़ने से कोई असर नहीं पड़ा.

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भारत
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Delhi Lok Sabha Election Results 2024: दिल्ली लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से मोदी मैजिक चला है. बीजेपी दिल्ली की सभी लोकसभा सीट जीत चुकी है. इसके साथ ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि जिस दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत हाथ लगती है वह लोकसभा चुनाव में कैसे चूक गई और बात कहां बिगड़ गई?

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क्या फिर चला मोदी मैजिक?

दिल्ली की सभी 7 सीटों पर बीजेपी को सफलता हाथ लगी है. बता दें बीजेपी ने 7 में से 6 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए थे. वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद में गठबंधन किया था लेकिन ये दांव इंडिया गठबंधन के काम नहीं आया.

जवाहलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के प्रोफेसर हिमांशु रॉय कहते हैं, "हर कॉन्सिटीवेंसी का या हर स्टेट का एक अपना नजरिया होता या रिक्वायरमेंट होता है. कई राज्य या सीटों पर स्थानीय मुद्दों बहुत हावी होते हैं तो कहीं राष्ट्रीय मुद्दे पर सारा जोर होता है. यह एक बॉलीवुड फिल्मों की ट्रेंड की तरह है. यानी ट्रेंड सही चल रहा है तो लगातार फिल्म हिट हो रही है और अगर पक्ष में ट्रेंड नहीं है तो फ्लॉप की बाढ़ आ जाएगी. ऐसा ही कुछ दिल्ली की लोकसभा सीटों के साथ है. यहां स्थानीय मुद्दे बहुत हावी नहीं हो पाते और अगर आप बिजली, पानी और फ्री स्कीम की बात कर रहे हैं तो उसके लिए विधानसभा चुनाव है. लेकिन लोकसभा चुनाव में यहां के वोटर्स हमेशा राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट देते हैं और यही बात बीजेपी के पक्ष में चली गई."

बीजेपी ने जो सोची समझी रणनीति दिल्ली में अपनाई वो है अपने पुराने सांसदों की सीटों को बदलना. 7 में से 6 सीटों पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया. इससे जितने भी वोटर्स सांसदों से नाराज होंगे उनको भी बीजेपी ने अपने से दूर जाने से रोक लिया.
प्रोफेसर हिमांशु रॉय, सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज, जेएनयू

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ आने का फायदा या नुकसान?

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ा लेकिन दिल्ली लोकसभा में दोनों पार्टियों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा. इसके फायदे और नुकसान को लेकर प्रोफेसर हिमांशु रॉय कहते हैं, "दोनों पार्टियों के वोट शेयर को देखिए तो बदलाव समझ आएगा. अगर दोनों के वोट शेयर को मिला दें तो इसमें इजाफा हुआ है. अगर AAP- कांग्रेस ने गठबंधन न किया होता तो कई सीटों पर जमानत जब्त हो गई होती, खासकर कन्हैया कुमार के सीट पर ऐसा होना तय था."

किन सीटों की सबसे ज्यादा चर्चा?

दिल्ली लोकसभा चुनाव में कुछ सीटें ऐसी भी रही जिसकी चर्चा काफी समय से थी. सबसे पहले उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की बात करते हैं. इस सीट पर मुकाबला मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार के बीच टक्कर है, मनोज तिवारी बड़े मार्जिन से इस सीट पर जीत रहे हैं.

नतीजे और एग्जिट पोल से पहले उम्मीद की जा रही थी कि कन्हैया कुमार इस सीट पर बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं लेकिन नतीजे कुछ और बयां कर रहे हैं. वहीं नई दिल्ली सीट भी चर्चा में थी क्योंकि इस सीट पर दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज चुनाव लड़ रही थी. बांसुरी स्वराज बड़े अंतर से चुनाव जीत रही हैं.

इसके अलावा एक और सीट जिसकी काफी चर्चा है वह है चांदनी चौक लोकसभा सीट. इस सीट को लेकर स्थानीय लोगों का मानना है था कि यहां कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं, क्योंकि कांग्रेस ने यहां से जेपी अग्रवाल को चुनाव में उतारा था. जेपी अग्रवाल चांदनी चौक के मूल निवासी हैं. उनका जीवन इसी इलाके में गुजरा है. लंबे वक्त से वह राजनीति में हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके विपक्षी उम्मीदवार और बीजेपी नेता प्रवीण खंडेलवाल बड़े अंतर से चुनाव जीत रहे हैं.

शराब नीति और स्वाति मालीवाल के साथ हुई कथित मारपीट जैसे मुद्दे से डेंट? 

प्रो रॉय मानते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की हार के पीछे शराब नीति घोटाला और स्वाति मालीवाल का मुद्दा था.

रॉय कहते हैं, "इन सब बातों का असर को पड़ता है, क्योंकि जनता ऐसे लोगों पर लगे आरोपों को गंभीरता से लेती है जो भ्रष्ट्राचार की बात कर के राजनीति में आए. जब भी ऐसे आरोप लगते हैं तो जनता ठगा हुआ महसूस करती हैं. किसी और राज्य की बात होती तो ऐसे मुद्दे भले बहुत असर नहीं करते हैं लेकिन दिल्ली की पब्लिक वोट देने के मामले में काफी मैच्योर हैं और ऐसे आरोपों का खामियाजा आम आदमी पार्टी को चुनाव में भुगतना पड़ा है."

पिछले दो चुनावों में वोट शेयर क्या रहा?

पिछले दो चुनावों से दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है. 2019 के चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो एनडीए ने 7 सीटें जीती थीं और 56.9 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. वहीं कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और पार्टी का वोट शेयर भी बीजेपी के मुकाबले काफी कम यानी 22.6 प्रतिशत था.

साल 2014 दिल्ली लोकसभा चुनाव के नतीजे

  • बीजेपी- 7 (46.6 वोट प्रतिशत)

  • कांग्रेस- 0 (15.2 वोट प्रतिशत)

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