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दिल्ली-NCR: झुग्गियों में रहने वाले 70% UP-बिहार के, 78% की आय 20 हजार महीने से भी कम

Delhi-NCR के झुग्गी बस्तियों और अवैध बस्तियों में लाखों की संख्या में लोग रहते हैं. ये लोग कौन हैं और किस राज्य से आते हैं?

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi-NCR) के झुग्गी बस्तियों और अवैध बस्तियों में लाखों की संख्या में लोग रहते हैं. लेकिन ये लोग कौन हैं और किस राज्य से आते हैं? इसको लेकर हाल ही में लोकनीति, सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रवासी आबादी के वर्गों के बीच भागीदारी और दूरस्थ मतदान (रिमोट वोटिंग) का विश्लेषण समझने के लिए एक अध्ययन किया.

जुलाई 2023 में हुए इस सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली की झुग्गी बस्तियों और अवैध बस्तियों में रह रहे 10 में से आठ लोग उत्तर प्रदेश, बिहार या फिर पश्चिम बंगाल से हैं. जिसमें सिर्फ यूपी और बिहार के 70 प्रतिशत लोग हैं. इन बस्तियों में रहने वाले 78 प्रतिशत लोगों की पारिवारिक आय हर माह 20 हजार रुपये से भी कम है.

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28 फीसदी प्रवासियों का जन्म दिल्ली में हुआ

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने शहर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 1,017 लोगों के सैंपल साइज के साथ अध्ययन किया है. जिसमें 63.2 फीसदी पुरुष, 36.7 फीसदी महिला और 0.1 फीसदी अन्य शामिल हैं. उनमें से अधिकांश (45.5%) 10 वर्षों से अधिक समय से शहर में रह रहे हैं. जबकि 28.7% का जन्म यहीं हुआ.

80 फीसदी लोग यूपी-बिहार और पश्चिम बंगाल से

अध्ययन से पता चलता है कि दिल्ली-एनसीआर की झुग्गियों में 18.8 फीसदी लोग दिल्ली के ही हैं और 81.2 फीसदी लोग देश के दूसरे राज्यों से मुख्यतः काम (58.2%) की तलाश में दिल्ली- NCR में आकार बसे हुए हैं. उनमें से 50.5 फीसदी लोग उत्तर प्रदेश, 21.8 फीसदी बिहार और 7.7 फीसदी पश्चिम बंगाल से हैं.

सर्वे में 39 फीसदी लोगों ने बताया कि उनके परिवार की मासिक आय 10 हजार रुपये से कम है. 39.4 फीसदी लोगों ने 20 हजार रुपये से कम बताया. वहीं, 21.5 फीसदी लोगों ने परिवार की मासिक आय 20 हाजर रुपये से ऊपर बताया.

आधी आबादी दिल्ली सरकार के कल्याणकारी योजनाओं से वंचित

दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले 56 फीसदी लोगों ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता हैं, वहीं 31 फीसदी लोगों ने बिजली सब्सिडी, पानी, फ्री राशन और फ्री स्वास्थ्य सुविधाएं समेत कई योजनाओं की लाभ मिलने की बात कही. जबकि 12.7 फीसदी लोगों ने कोई उत्तर नहीं दिया.

58 फीसदी प्रवासी दिल्ली के मतदाता

सीएसडीएस के सर्वे में 58 फीसदी लोगों ने बताया कि उनका नाम दिल्ली के मतदाता सूची में दर्ज है, वहीं 22 फीसदी लोगों का नाम उनके गृह राज्य के मतदाता सूची में दर्ज है. सर्वे में शमिल 7.4 प्रतिशत लोगों का नाम दिल्ली और उनके गृह राज्य यानि दोनों जगह दर्ज है. लगभग 9 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जिनका नाम अब तक मतदाता सूची में दर्ज नहीं हो सका है.

शहर में अधिकतर प्रवासी युवा, दस में से छह पुरुष

शहर में अधिकांश प्रवासी युवा हैं- उनमें से 48.2% 35 वर्ष से कम आयु के हैं. जनसंख्या में पुरुष की आबादी ज्यादा है. दस में से छह पुरुष हैं, और 81.9% विवाहित. सर्वे में शामिल 60% से अधिक लोगों के पास मिडिल स्कूल से आगे कोई शिक्षा नहीं है. एक चौथाई से अधिक गैर-साक्षर हैं और केवल 8.5% या तो कॉलेज (स्नातक) में है या उनके पास उच्च शैक्षणिक योग्यता है.

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सर्वे में शामिल लोगों की जनसंख्या में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की संख्या सबसे अधिक 48% थी. वहीं 20.6% ने अपनी जाति का खुलासा नहीं किया.

सीएसडीएस के मुताबिक ये सर्वे यह पता लगाने के लिए किया गया था कि शहर के घरेलू प्रवासी देश में दूरस्थ मतदान के प्रस्ताव के बारे में कैसा महसूस करते हैं. सर्वे से पता चलता है कि 27.8% लोग दूरस्थ मतदान में अपने मतपत्र की गोपनीयता पर "काफी हद तक" भरोसा करेंगे. वहीं 18.8% लोगों ने कहा कि "कुछ हद तक" इस पर भरोसा करेंगे.'

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