5 नवंबर 2019 को दिल्ली में हजारों पुलिसकर्मियों ने ‘हमारा कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो’ नारा लगाकर 30 साल पहले तीस हजारी कोर्ट में हुई घटना की याद दिला दी. 30 साल पहले 1988 में भी तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच इसी तरह की झड़प हुई थी. तब बेदी को 'सख्त मिजाज वाली पुलिस अधिकारी' के तौर पर जाना जाता था.
घटना 16 जनवरी 1988 की है. दिल्ली पुलिस ने राजेश अग्निहोत्री नाम के वकील को गिरफ्तार किया था. सेंट स्टीफन कॉलेज के छात्रों ने उन्हें लेडीज कॉमन रूम से कथित तौर पर चोरी करते हुए पकड़ा था. पुलिस ने वकील अग्निहोत्री को हाथ में हथकड़ी लगाए तीस हजारी कोर्ट में पेश किया तो वकीलों ने इसे गैरकानूनी बताते हुए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने वकील को उसी दिन दोषमुक्त कर दिया और साथ ही पुलिस कमिश्नर को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए. वकील, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अपनी मांग के समर्थन में 18 जनवरी से हड़ताल पर चले गए.
पहली महिला IPS अधिकारी किरण बेदी...
पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने 20 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस की कार्रवाई को सही बताया और कथित ‘‘चोर’’ को दोषमुक्त करने के मजिस्ट्रेट के आदेश की आलोचना की.
अगले दिन वकीलों के ग्रुप ने तीस हजारी कोर्ट परिसर में ही स्थित बेदी के ऑफिस में उनसे मुलाकात करनी चाही तो उन पर लाठी चार्ज का आदेश दिया गया जिसमें कई वकील घायल हो गए.
इसके बाद अगले दो महीने के लिए वकीलों ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में कोर्ट में काम करना बंद कर दिया और बेदी के इस्तीफे की मांग की. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की जांच के लिए जस्टिस डीपी वाधवा के नेतृत्व में दो सदस्यीय समिति गठित की जिसके बाद हड़ताल बंद की गई. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वकील को हथकड़ी लगाना गैरकानूनी था और उसने बेदी के तबादले की सिफारिश की.
इस घटना ने 2015 में भी नहीं छोड़ा पीछा
इस घटना ने बेदी का तब भी पीछा नहीं छोड़ा जब 2015 में बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया. राष्ट्रीय राजधानी में सभी छह जिला अदालतों के वकीलों ने बेदी को उम्मीदवार बनाने के लिए बीजेपी की निंदा की.
पूर्वी दिल्ली में कृष्णा नगर निर्वाचन क्षेत्र से बेदी के खिलाफ विधानसभा चुनाव जीतने वाले वकील एस के बग्गा ने 1988 की घटना को याद किया और कहा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी ने प्रदर्शनरत वकीलों के खिलाफ बर्बरता से लाठी चार्ज, आंसू गैस और पानी की बौछारें करने का आदेश दिया था. घटना में 100 वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
उन्होंने याद किया कि अन्य वकील और अब प्रतिष्ठित बार नेता राजीव खोसला को 1988 में पानी की बौछारों के कारण आंख में गंभीर चोट आयी थी. उन्होंने कहा कि इस बार फर्क इतना है कि पुलिसकर्मी सड़कों पर हैं और वकीलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इन घटनाओं में वकीलों ने पुलिसकर्मियों की पिटायी की.
कुछ पुलिसकर्मियों ने बेदी का बड़ा पोस्टर हाथ में ले रखा था जिसमें ‘‘किरण बेदी शेरनी हमारी’’ और ‘‘हमारा पुलिस कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो’’ जैसे नारे लिखे हुए थे. बेदी अभी पुडुचेरी की उपराज्यपाल हैं.
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