प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वायु प्रदूषण पर सुनवाई हुई, जिसमें जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि नियम-कानून का उल्लंघन करने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. जस्टिस मिश्रा ने सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि सरकार ने पराली जलाने को लेकर पहले से तैयारी क्यों नहीं की थी. साथ ही, कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के छोटे किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि देने को भी कहा है.
दिल्ली-एनसीआर में हर साल की तरह इस साल भी प्रदूषण ने लोगों का सांस लेना मुश्किल कर दिया. हर बार की तरह केंद्र और दिल्ली सरकार ने कई दावों के बाद भी प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया.
जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा, 'क्या आप प्रदूषण के कारण लोगों को इस तरह मरने की अनुमति दे सकते हैं? क्या आप देश को 100 साल पीछे जाने की अनुमति दे सकते हैं?'
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि सभी को मालूम था कि इस साल भी पराली जलाने की घटना होगी, ऐसे में सरकार ने पहले तैयारी क्यों नहीं की और मशीन क्यों उपलब्ध नहीं कराई गईं? कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि ये दिखाता है कि पूरे साल इसपर कोई तैयारी नहीं की गई.
पंजाब-हरियाणा के मुख्य सचिव से सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल
जस्टिस मिश्रा ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा, 'क्या आपके पास फंड्स हैं? अगर नहीं हैं, तो प्लीज हमें बताएं, हम आपको पराली जलाने के मुद्दे से निपटने के लिए फंड मुहैया कराएंगे.' कोर्ट ने कहा है कि अब सुनिश्चित किया जाए कि पराली जलाने की कोई घटना न हो.
हरियाणा के मुख्य सचिव पर नाराजगी जाहिर करते हुए जस्टिस मिश्रा ने पूछा कि उन्होंने राज्य के चार जिलों में लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की?
दिल्ली में अब भी जारी निर्माण
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली मुख्य सचिव से पूछा कि अगर वो सड़क पर धूल, निर्माण कार्य और गारबेज डंपिंग से नहीं निपट सकते तो वो सरकार में क्यों हैं?
‘दिल्ली में अभी भी निर्माण कार्य जारी है. प्रदूषण के स्तर को देखिए. प्लीज, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कीजिए.’जस्टिस मिश्रा
किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि
कोर्ट ने कहा कि गैर-बासमती चावल की फसलों के अवशेषों को निपटाने के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों के छोटे और सीमांत किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि दी जाए.
पहले भी फटकार लगा चुका है सुप्रीम कोर्ट
इससे पहले प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नराजगी जताई थी और कहा था कि लोगों को भी जीने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली हर साल चोक हो जाती है और हम फिर भी कुछ नहीं कर पाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल पूछते हुए कहा था,
“हालात काफी भयानक हैं. चाहे दिल्ली हो या फिर केंद्र आप लोग क्या कर रहे हैं? आप लोग प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आईआईटी के अलावा अन्य पर्यावरण एक्सपर्ट्स को बुलाने का निर्देश जारी किया था.”
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मामले को लेकर दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि ऑड-ईवन स्कीम के पीछे का तर्क क्या है? कोर्ट ने कहा, डीजल वाहन बैन करना समझ सकते हैं, लेकिन ऑड-ईवन स्कीम की क्या जरूरत थी?
एयर क्वॉलिटी में सुधार
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर कुछ हद तक कम हुआ है. जहां पिछले कुछ दिनों से एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 500 के आंकड़े को छूता दिख रहा था, वहीं अब ये घटकर 356 हो चुका है. दिल्ली में बुधवार सुबह सोनिया विहार में प्रदूषण का स्तर 314, जहांगीरपुरी में 198, बवाना में 205, मुंडका में 192, शहादरा में 166, पंजाबी बाग 187 और आरके पुरम में 168 रहा.
वहीं, गाजियाबाद की अगर बात करें तो यहां के संजय नगर में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 193 था. नोएडा में भी एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में सुधार देखने को मिला. बुधवार सुबह नोएडा के सेक्टर 62 में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 181 और ग्रेटर नोएडा में 190 रहा.
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