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G-20 की तैयारियों के बीच दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर लिखे गए देश विरोधी नारे, SFJ पर आरोप

दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. साथ ही कानूनी कार्रवाई कर रही है.

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भारत
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देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में खालिस्तान (Khalistan) समर्थन में नारे लिखे गए हैं. पांच से ज्यादा मेट्रो स्टेशनों पर 'दिल्ली बनेगा खालिस्तान' और 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लिखे गए हैं. राष्ट्रीय राजधानी में G-20 सम्मेलन से पहले इस हरकत के पीछे सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का नाम सामने आ रहा है. दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. साथ ही कानूनी कार्रवाई कर रही है.

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SFJ ने जारी किया फुटेज- दिल्ली पुलिस

समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से पुलिस ने बताया कि, G20 शिखर सम्मेलन से पहले सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने दिल्ली मेट्रो स्टेशनों के फूटेज जारी किए हैं, जिनमें खालिस्तान समर्थक नारे लिखे हुए हैं. दिल्ली के कई मेट्रो स्टेशनों पर शिवाजी पार्क से लेकर पंजाबी बाग तक SFJ कार्यकर्ता खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए देखे गए थे.

जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें देखा जा सकता है कि दिल्ली मेट्रो के स्टेशनों की दीवारों पर 'दिल्ली बनेगा खालिस्तान', 'खालिस्तान जिंदाबाद', 'मोदी इंडिया कमिटेड जेनोसाइड ऑफ सिख' और 'खालिस्तान एसएफजे रेफरेंडम जिंदाबाद' जैसे नारे लिखे गए हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालिस्तान समर्थकों ने शिवाजी पार्क, मादीपुर, पश्चिम विहार, उद्योग नगर, महाराजा सूरजमल स्टेडियम, गवर्नमेंट सर्वोदय बाल विद्यालय नांगलोई, पंजाबी बाग और नांगलोई मेट्रो स्टेशन पर यह नारे लिखे हैं.

सिख फॉर जस्टिस संगठन क्या है?

सिख फॉर जस्टिस संगठन की स्थापना साल 2007 में अमेरिका में हुई थी. इस संगठन का मुख्य एजेंडा पंजाब को भारत से अलग कर एक 'स्वतंत्र और संप्रभु देश- खालिस्तान' बनाने का है. गुरपतवंत सिंह पन्नू एसएफजे का संस्थापक है. जो अक्सर देश विरोधी बयानबाजी के सुर्खियों में रहता है.

खालिस्तानी मुद्दे का समर्थन करते हुए, एसएफजे ने पांच साल पहले 'रेफरेंडम 2020' नामक एक अलगाववादी अभियान की घोषणा की थी, जिसमें 'पंजाब पर भारत के कब्जे' के दावे को खत्म करने की मांग की गई थी और दुनियाभर में पंजाबियों के बीच इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश की गई थी.

इस ऐलान के बाद भारत सरकार ने जुलाई 2019 में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए SFJ पर प्रतिबंध लगा दिया था.

जानकारी के मुताबिक, संगठन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय कथित तौर पर पंजाब प्रशासन सहित राज्य सरकारों के परामर्श से केंद्र द्वारा लिया गया था.

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