दिल्ली हिंसा मामले में UAPA आरोपियों नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. 15 जून को दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत के फैसले के खिलाफ 16 जून को दिल्ली पुलिस ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया. इन तीनों को दिल्ली हिंसा से जुड़े FIR 59 के तहत दर्ज मामले में जमानत दी गई है. दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि इन तीनों ने कथित तौर पर बड़े पैमाने पर नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में दंगा भड़काने की साजिश रची थी.
विरोध जताना कोई आतंकी गतिविधि नहीं- दिल्ली हाईकोर्ट
वहीं जमानत देते वक्त दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि पहली नजर में UAPA की धारा 15, 17 या 18 के तहत कोई भी अपराध तीनों के खिलाफ वर्तमान मामले में रिकॉर्ड की गई सामग्री के आधार पर नहीं बनता है. अदालत ने कई तथ्यों को ध्यान में रखते हुए माना कि विरोध जताना कोई आतंकी गतिविधि नहीं है.
सशर्त मिली है तीनों को जमानत
कोर्ट ने कहा कि तीनों को जमानत 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो स्थानीय जमानतदारों के अधीन है. इसके अलावा जमानत के तौर पर शामिल शर्तों में तीनों को अपने पासपोर्ट जमा कराने होंगे और ऐसी किसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना होगा, जिससे मामले में बाधा आ सकती है.
जामिया, जेएनयू के छात्र हैं
तन्हा जामिया मिल्लिया इस्लामिया से स्नातक की छात्रा है. उसे मई 2020 में यूएपीए के तहत दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह लगातार हिरासत में है. नरवाल और कलिता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर हैं, जो पिंजरा तोड़ आंदोलन से जुड़ीं हुईं हैं. वे मई 2020 से हिरासत में हैं.
मामला क्या है इनपर?
ये मामला दिल्ली पुलिस की ओर से उस कथित साजिश की जांच से संबंधित है, जिसके कारण फरवरी 2020 में दिल्ली में भयानक हिंसा भड़क उठी थी. पुलिस के अनुसार, तीनों आरोपियों ने अभूतपूर्व पैमाने पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर ऐसा व्यवधान पैदा करने की साजिश रची, जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ी जा सके.
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