कांग्रेस पार्टी की पूर्व पार्षद और यूएपीए आरोपी इशरत जहां ने कोर्ट को बताया कि, अगर कोई तत्काल उपाय नहीं किए गए तो मंडोली जेल में उनकी जान दांव पर लगी है. जिसके बाद कड़कड़डूमा कोर्ट के जज अमिताभ रावत ने इस घटना का संज्ञान लिया और जेल प्रशासन को 23 दिसंबर सुबह 10 बजे तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा.
इशरत जहां के वकील मिस्बाह बिन तारिक ने कोर्ट को बताया कि जेल अधिकारियों को कैसे स्टेटस रिपोर्ट सौंपनी थी. इस सुनवाई के दौरान जेल सुप्रिटेंडेंट और इशरत जहां भी मौजूद थीं. जो सुनवाई सुबह 10 बजे से शुरू होनी थी वो 11 बजे शुरू हुई.
सुनवाई के दौरान जब जज ने इशरत से पूछा कि क्या आपकी समस्या का समधान हो गया? तो इशरत जहां ने आरोप लगाते हुए कहा, पिछले एक महीने के भीतर मुझ पर दूसरी बार हमला किया गया है. यहां एक कैदी है जो दूसरों को मेरे खिलाफ भड़काती है और वो एक लेसबियन है. इशरत ने बताया कि कैसे 22 दिसंबर की सुबह उन्हें पीटा गया, गालियां दी गईं और कपड़े तक फाड़े गए. इशरत ने कहा,
ऐसा मेरे साथ पहली बार 20 नवंबर को हुआ था. ये उन्हीं महिलाओं में से एक थी जिन्होंने भड़काने का काम किया था और उसने ये काम आगे भी जारी रखा. इशरत ने आगे कहा,
“करीब 10 महीने बीत चुके हैं और इस बीच मैंने काफी कुछ सहा है. लेकिन अब मैं आपसे गुजारिश करती हूं कि इन तीनों कैदियों को किसी और जेल में ट्रांसफर कर दिया जाए. या फिर मुझे कहीं और भेज दिया जाए. ये महिलाएं अश्लील गतिविधियों में भी शामिल हैं. मुझे पहले ही स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हैं और मैं एक सेंसिटिव केस में जेल के अंदर बंद हूं. मैं ये सब नहीं झेल सकती.”
‘लगातार मिलती रहीं धमकियां’
इशरत ने कोर्ट को बताया कि कैसे कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद भी महिला कैदी ने उन्हें फिर से धमकी दी. इशरत ने बताया, उसने मुझे कहा कि अगर मैंने तेरा चेहरा बर्बाद नहीं कर डाला तो मैं अपने बाप की औलाद नहीं. मैंने तुरंत जेल स्टाफ को बुलाया और बताया कि मुझे फिर से धमकी दी जा रही है, तो उन्होंने कहा कि वो मेरे चेहरे को टेप से नहीं बांध सकते हैं.
इस मामले को लेकर जेल सुप्रिटेंडेंट ने कहा कि सिर्फ कैदी 'पी...' इशरत के कमरे में मौजूद थी और पूछताछ के दौरान उसने इशरत का सामना नहीं किया. अन्य दो महिलाओं को लेकर उन्होंने कहा कि, ये सही है कि एक महिला 'एस...' को दूसरी जेल से यहां शिफ्ट किया गया था. लेकिन तीसरी महिला कैदी 'जी..' और इशरत तब दोस्त हुआ करते थे. तो इशरत ही इस पूरे मामले को समझा सकती है कि क्या हुआ.
इस दौरान इशरत के वकील प्रदीप तेवतिया ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि, “बात सिर्फ उसकी सुरक्षा की नहीं है. लेकिन जब एक महिला दूसरी किसी महिला को अपमानित करती है तो इसके लिए कानूनी प्रावधान हैं. इसके खिलाफ सख्त और आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए और ये आईपीसी की धारा 354 के तहत आता है. आप जितना चाहें मेरे मुवक्किल को डरा सकते हैं, लेकिन जरूरत पड़ी तो हम इन शिकायतों को उच्च अधिकारियों तक ले जाएंगे.”
22 दिसंबर को इशरत के पति फरहान हाशमी ने इस रिपोर्टर को बताया, "ये दूसरी बार है जब ऐसा हो रहा है. उसके कपड़े फाड़ दिए गए, उसका सिर कई बार दीवार से पटका गया. उसे लगातार गालियां और धमकी दी जा रही हैं. वो लगातार उसे परेशान कर रहे हैं."
वकील ने कोर्ट को बताया- इशरत के साथ हुई मारपीट
इशरत के वकील प्रदीव तेवतिया ने 22 दिसंबर को दिल्ली कोर्ट में एक इमरजेंसी एप्लीकेशन दी थी. जिसे क्विंट ने एक्सेस किया. इसमें लिखा गया था, "कोर्ट के सामने ये बताया जाता है कि 22 दिसंबर की सुबह आवेदनकर्ता को उसके साथ रहने वाले कैदियों ने बुरी तरह पीटा. इस दौरान उनके शरीर पर कई चोटें आईं और उनके कपड़े भी फट गए." इसके बाद कोर्ट ने इस मामले को लेकर 23 दिसंबर की सुबह स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा था.
इशरत को 26 फरवरी को खुरेजी प्रोटेस्ट साइट से गिरफ्तार किया गया था, जब नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़की थी और जमकर तोड़फोड़ हुई थी. इशरत जहां को जगतपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर नंबर 44/2020 के तहत गिरफ्तार किया गया था, इशरत पर भीड़ को घटनास्थल पर मौजूद रहने के लिए उकसाने का आरोप था. लगभग एक महीने बाद 21 मार्च को उसे इस मामले में जमानत दे दी गई थी. लेकिन उसी दिन उसे फिर से आतंकवाद विरोधी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एफआईआर संख्या 59/2020 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया.
इसके बाद इशरत जहां को 10 जून को उनकी शादी के लिए 10 दिनों की अंतरिम जमानत दी गई और 19 जून को वो जेल वापस लौट गई.
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