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पुलिस ने कपिल मिश्रा के खिलाफ आरोपों को बताया ‘झूठा नैरेटिव’

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी की रात में हिंसा भड़क गई थी

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दिल्ली पुलिस ने FIR 59 के तहत जो चार्जशीट दायर की है, उसमें बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ लगे आरोपों को कम करके बताया गया है. FIR 59 दिल्ली दंगों की कथित साजिश से संबंधित है.

पूरी चार्जशीट का फोकस ये केस बनाने पर दिखता है कि सांप्रदायिक हिंसा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन से हुई और इसमें भी खासकर चक्का जाम करने की योजना की वजह से. इस हिंसा में 38 मुस्लिम और 15 हिंदू मारे गए थे.

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17,000 पन्नों की चार्जशीट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है 'फाइनल रिपोर्ट' नाम का एक सेक्शन. इसमें 2700 पन्नों में दिल्ली पुलिस की जांच-परिणाम की अहम बातें हैं.

इस सेक्शन में कपिल मिश्रा का छोटा सा जिक्र है, जबकि मौजपुर में मिश्रा ने पुलिस की मौजूदगी में भाषण दिया था कि 'रोड खाली करा दीजिए वरना हम करा लेंगे."

मिश्रा के नाम का जिक्र उनकी कथित भागीदारी की जांच में नहीं आया. बल्कि, कपिल मिश्रा का जिक्र आया है क्योंकि उनका नाम दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप की एक बातचीत में आया था. ये एक WhatsApp ग्रुप है, जो पुलिस के साजिश के दावे का केंद्र है.  

24 फरवरी को 12.50 am पर यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य खालिद सैफी ने ग्रुप में पोस्ट किया, "एडवोकेट रुखसार अहमद, एडवोकेट नदीमुज्जमा, एडवोकेट मोहम्मद दानिश, एडवोकेट मोहम्मद नदीम, एडवोकेट मोहम्मद अकरम, एडवोकेट मोहम्मद जाकिर ने कपिल मिश्रा के खिलाफ जाफराबाद में वैमनस्य फैलाने और जाफराबाद इलाके में 23/02/2020 को दंगा करने को लेकर शिकायत दर्ज कराई."

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी की रात में हिंसा भड़क गई थी. इससे एक दिन पहले कपिल मिश्रा ने भाषण दिया था.

ग्रुप के और लोगों ने शिकायत दर्ज होने की बात को सराहा था. लेकिन पुलिस ने मिश्रा के खिलाफ शिकायत को दूसरी तरह देखा.

चार्जशीट में सैफी के मेसेज का जिक्र करने से ठीक पहले, पुलिस इस मामले पर अपनी टिप्पणी देती है:

ये चैट साजिशकर्ताओं के पकड़े जाने के डर की पुष्टि करती हैं. साजिशकर्ताओं ने एक झूठा नैरेटिव बनाकर इल्जाम लगाना शुरू कर दिया और व्हिस्लब्लोअर को धमकाया. 
FIR 59 के तहत दिल्ली पुलिस चार्जशीट  

आसान तरीके से कहा जाए तो चार्जशीट में कपिल मिश्रा के खिलाफ शिकायत की बातचीत को 'साजिशकर्ताओं के झूठे नैरेटिव तैयार करने' जैसा दिखाने की कोशिश हुई.

पुलिस के मुताबिक, 'साजिशकर्ताओं' का मकसद हिंसा का इल्जाम कानूनी एजेंसियों पर डालना था.

हालांकि, पुलिस ने कथित रूप से कपिल मिश्रा से पूछताछ भी की है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिश्रा ने अपने बयान में कहा कि उन्होने कोई भाषण नहीं दिया था और उन्होंने मौजपुर में अपने धरने के बारे में पुलिस को बताया था.

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