ADVERTISEMENTREMOVE AD

दिल्ली दंगे: जांच को 'हास्यास्पद' कहने वाले आदेश के खिलाफ पुलिस HC पहुंची

लोअर कोर्ट ने पुलिस पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने हाई कोर्ट में उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें एक लोअर कोर्ट ने पुलिस पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था और फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों (Delhi Riots) के एक केस में उनकी जांच को 'हास्यास्पद' बताया था. कोर्ट ने दंगों में एक आंख गंवाने वाले मोहम्मद नासिर की शिकायत पर FIR रजिस्टर करने का भी निर्देश दिया था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
ये दूसरी बार है जब नासिर की शिकायत पर FIR दर्ज करने के एक आदेश को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में चुनौती दी है.

पुलिस ने याचिका दायर करने की वजह 'अफसरों की साख को गंभीर नुकसान' और 'अदालतों पर अत्यधिक बोझ' बताया है.

नासिर ने 19 मार्च 2020 को शिकायत दर्ज कराई थी. 21 अक्टूबर को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ऋचा मनचंदा ने पुलिस को 24 घंटों में FIR दर्ज करने का निर्देश दिया था. जब क्विंट ने भजनपुरा पुलिस स्टेशन के SHO से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वो आदेश को चुनौती देंगे और उन्होंने ऐसा किया भी. 13 जुलाई 2021 को एडिशनल सेशंस जज (ASJ) विनोद यादव ने FIR न दर्ज करने की पुलिस की याचिका खारिज करते हुए एक और आदेश दिया. जज ने पुलिस पर 25,000 का जुर्माना लगाया, जांच को 'हास्यास्पद' बताया और जांच का संज्ञान लेने के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को आदेश भी भेजा.

दिल्ली पुलिस की नई याचिका क्या कहती है?

दिल्ली हाई कोर्ट में पुलिस की तरफ से दायर रिट याचिका कई आधार बताती है. इनमें से कुछ हैं:

  1. पुलिस का कहना है कि ASJ यादव का आदेश पिछली जज एमएम मनचंदा के आदेश की वैधानिकता तय करने को लेकर था. हालांकि, 19 जुलाई 2021 को मामले में एक आरोपी नरेश त्यागी की याचिका पर हाई कोर्ट ने मनचंदा के आदेश पर रोक लगा दी थी. इसलिए पुलिस का तर्क है कि जब इस केस की जड़ के आदेश पर ही रोक लगा दी गई है तो उन्होंने कोर्ट में ये याचिका डाली है.

  2. पुलिस कहती है कि वो CrPC के सेक्शन 210 को संज्ञान में लेने में असफल रहे, जो कि शिकायत केस और उसी अपराध में पुलिस जांच की प्रक्रिया बताता है. पुलिस का तर्क है कि एक FIR जिसमें नासिर के खिलाफ कथित अपराध शामिल है पहले से दर्ज है. इसलिए दूसरी शिकायत की जरूरत नहीं.

  3. पुलिस ने कहा कि DCP को अपना सब्मिशन देने का मौका दिए बिना जुर्माना लगाया गया, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है.

  4. पुलिस ने खुद पर लगे जुर्माने को 'अनुचित के साथ-साथ अनावश्यक' भी बताया है क्योंकि ये सरकारी अधिकारियों के करियर को प्रभावित करेगा और उनकी 'साख को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा.'

  5. पुलिस का तर्क है कि नासिर की शिकायत पर FIR दर्ज करने से पहले से अत्यधिक बोझ झेल रही न्यायिक व्यवस्था पर बोझ और बढ़ जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ASJ विनोद यादव ने क्या कहा था?

कड़कड़डूमा कोर्ट के जज विनोद यादव ने 13 जुलाई को कड़े शब्दों में अपने आदेश में पुलिस को फटकार लगाई. कोर्ट ने पुलिस की जांच को 'निर्दयी' करार दिया. ASJ यादव ने कहा कि याचिकाकर्ता (SHO भजनपुरा पुलिस स्टेशन) और इनके सुपरवाइजिंग अफसर 'केस में अपने दायित्वों को निभाने में बुरी तरह नाकाम रहे हैं.'

याचिकाकर्ता (SHO भजनपुरा पुलिस स्टेशन) को लेकर आदेश में कहा गया था कि 'याचिकाकर्ता के पास FIR दर्ज करने के आदेश से परेशान होने की कोई वजह या औचित्य नहीं है.'

ADVERTISEMENTREMOVE AD
जांच पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से जांच हुई है, वो खुद को उसके प्रभावी होने या निष्पक्ष को लेकर समझा नहीं पाया है. आदेश में कहा गया, "FIR No.64/2020 केस में जांच सबसे बेढंगी, निर्दयी और हास्यास्पद तरीके से हुई है."

आदेश में कहा गया कि 'नासिर की शिकायत में आरोपी व्यक्ति के लिए डिफेंस पुलिस का बनाया हुआ है.' कोर्ट ने आदेश को पुलिस कमिश्नर को भी भेजा है ताकि केस में 'जांच के स्तर और सुपरविजन को उनके ध्यान में लाया जा सके.'

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×