जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद (Umar Khalid) ने सोमवार, 29 नवंबर को दिल्ली की एक अदालत में कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) जैसे कानून के खिलाफ वकालत करना अपराध नहीं है. उमर खालिद की तरफ से उनके वकील ने सवाल किया कि दिल्ली पुलिस ने पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगों को क्यों होने दिया जब एक संरक्षित गवाह स्थानीय SHO के संपर्क में था और उन्हें योजना के बारे में सूचित कर रहा था.
एडिशनल सेशन कोर्ट के जज अमिताभ रावत के समक्ष उमर की ओर से वरिष्ठ वकील त्रिदीप पेस जमानत के लिए दलील दे रहे थे. हालांकि आज उनकी दलीलें पूरी नहीं हो सकीं और सुनवाई 9 दिसंबर को भी जारी रहेंगी.
क्या यह स्पष्ट नहीं है कि ये गवाह खरीदे गए थे- उमर खालिद के वकील
एक संरक्षित गवाह के बयान का हवाला देते हुए, जिसने यह दावा किया है कि वह स्थानीय SHO के संपर्क में था, उमर खालिद के वकील ने कोर्ट से कहा
“वह (गवाह) कहता है कि वह नियमित रूप से SHO (सीलमपुर) के संपर्क में है, जिन्होंने उसे अपडेट देने के लिए कहा था. यदि आप SHO के संपर्क में हैं, तो आपने यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया कि कुछ भी न हो? क्या हुआ? वे ऐसे आदर्श नागरिक हैं… वे ऐसे नेक विचार रखते हैं और पुलिस के संपर्क में हैं… क्या यह स्पष्ट नहीं है कि ये गवाह खरीदे गए थे?”
इन आरोपों पर कि उमर खालिद ने महिलाओं और बच्चों को अपने विरोध प्रदर्शन के लिए एक कवर के रूप में शामिल किया था, वकील त्रिदीप पेस ने अदालत से साफ कहा कि कानून के खिलाफ वकालत कोई अपराध नहीं है.
“कानून के खिलाफ वकालत कोई अपराध नहीं है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब सीएए लागू होगा और एनआरसी शुरू होगा तो बिना डॉक्युमेंट के व्यक्ति को हिरासत में ले लिया जायेगा... क्या किसी अकेली महिला और बच्चा ने सामने आकर कहा है कि हम कवर थें”उमर खालिद के वकील
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