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दिल्ली हिंसा: 38 की मौत, 200 से ज्यादा घायल, SIT ने शुरू की जांच

जीटीबी अस्पताल में मरने वालों का आंकड़ा 34 पर पहुंच गया है

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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर हुई हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 38 हो गई है. जीटीबी अस्पताल में मरने वालों का आंकड़ा 34 पर पहुंच गया है. मृतक संख्या बुधवार रात तक 27 थी, जिनमें से 25 लोगों की मौत दिलशाद गार्डन स्थिति जीटीबी अस्पाल में हुई थी.

जीटीबी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक सुनील कुमार ने कहा, ‘‘हमारे अस्पताल में 24 फरवरी से 215 से ज्यादा हिंसा पीड़ित लाए गए और उनका इलाज किया गया. हालांकि इस समय केवल 51 लोग भर्ती हैं. एक को छोड़कर बाकी सभी की हालत स्थिर है.’’

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जीटीबी अस्पताल में 24 फरवरी से 25 लोगों को मृत हालत में लाया गया और नौ की इलाज के दौरान मौत हो गई. 

लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में बुधवार को एक व्यक्ति की मौत इलाज के दौरान हो गई थी और एक को वहां लाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘एलएनजेपी में एक और व्यक्ति की मौत हो गई. जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में भी गुरुवार को एक व्यक्ति ने दम तोड़ दिया, जिससे कुल मृतक संख्या 38 तक पहुंच गई.’अस्पताल में मौजूद अधिकारियों ने बताया कि हिंसा के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई हिस्सों से एलएनजेपी में 50 से ज्यादा लोगों को लाया गया था. इस हिंसा में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.

SIT ने शुरू की जांच

दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस अपराध शाखा की एसआईटी ने गुरुवार रात से अपनी जांच शुरू कर दी. बता दें कि इस एसआईटी का गठन गुरुवार को दोपहर बाद किया गया था. एसआईटी गठित होने के बाद दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के एडिशनल पुलिस कमिश्नर ने सबसे पहले एक अपील जारी की.

आम-नागरिकों और मीडिया के नाम जारी अपील में कहा गया है कि जिसके पास भी इस हिंसा से संबंधित जो भी तस्वीरें, वीडियो फुटेज या फिर अन्य संबंधित सबूत हों, तो वो सात दिन के भीतर पुलिस को मुहैया कराके जांच में मदद करे.

तस्वीरें और वीडियो फुटेज उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले के डीसीपी के सीलमपुर स्थित कार्यालय में जमा कराने होंगे. अपील में अनुरोध किया गया है कि 23 फरवरी 2020 को या फिर उसके बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में जो भी हिंसात्मक घटनाएं हुई हैं, उनसे संबंधित सबूत पुलिस तक पहुंचाने में विशेषकर मीडिया भी मदद करे. सबूत पुलिस के हवाले करने वालों की पहचान गुप्त रखी जाएगी. अगर कोई इन हिंसक घटनाओं के बारे में गवाही देना चाहता हो तो उसे भी पुलिस गुप्त रखेगी.

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