ADVERTISEMENTREMOVE AD

लद्दाख:चीनी खतरे के बावजूद BRO प्रोजेक्ट में लगे हैं 10 हजार मजदूर

झारखंड से 6000 मजदूर आए: अधिकारी

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच खूनी झड़प में एक कर्नल समेत 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बावजूद झारखंड के 10,000 से ज्यादा मजदूर कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं. ये प्रोजेक्ट्स बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के हैं.

चीन की सेना ने भारत के पैंगोंग सो के करीब फिंगर एरिया में एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रोड बनाने पर आपत्ति जताई है. साथ ही चीन गलवान घाटी में Darbuk-Shayok-Daulat Beg Oldie रोड से जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर भी विरोध जता रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
चीन कई तरह की रणनीति पर काम करते हुए हमारी कई महत्वपूर्ण रोड और पुल के कामों को रोकना चाह रहा है लेकिन हम आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम अपने सैनिकों की मौत के बाद भी पीछे नहीं हटेंगे.
लेह में 14 कॉर्प्स के हेडक्वार्टर्स का एक अफसर

भारत पहले ही तय कर चुका है कि वो चीन के दबाव में पूर्वी लद्दाख में कोई बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं रोकेगा.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 मई को रेलवे से 11 स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम करने को कहा था. ये ट्रेने झारखंड से 11,800 मजदूरों को जम्मू-कश्मीर लाने के लिए थीं. इनमें से कुछ ट्रेनें हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बॉर्डर के करीब रोड कंस्ट्रक्शन गतिविधि के लिए भी थीं.

झारखंड से 6000 मजदूर आए: अधिकारी

BRO की तरफ से मांगे गए 11,815 मजदूरों में से करीब 8000 लद्दाख में 'ऑपरेशन विजयक' के लिए थे. बाकी उत्तराखंड में प्रोजेक्ट शिवालिक. हिमाचल में प्रोजेक्ट दीपक और जम्मू-कश्मीर में प्रोजेक्ट बीकन के लिए थे.

जम्मू-कश्मीर के लेबर कमिश्नर अब्दुल राशिद वार कहा कि उन्हें झारखंड से आने वाले मजदूरों की पक्की जानकारी नहीं है क्योंकि रजिस्ट्रेशन का सिस्टम तीन दिन पहले ही शुरू हुआ है.

लेबर कमिश्नर के मुताबिक, 48,681 फंसे हुए प्रवासी मजदूर राज्यों के बीच यातायात शुरू होने के बाद अपने घरों को लौट गए हैं. अब्दुल राशिद वार ने क्विंट को बताया, "कश्मीर से 10,760 मजदूरों ने अपने घर जाने की इच्छा जताई थी. लेकिन फिर 8000 से ज्यादा ने अपना नाम वापस ले लिया."

उधमपुर रेलवे स्टेशन के अधिकारियों ने बताया कि 6000 से ज्यादा मजदूर झारखंड से कई स्पेशल ट्रेनों में आए हैं और BRO की तरफ से उनके लिए लाइ गई बसों से सीधे लद्दाख चले गए हैं. एक अधिकारी ने कहा कि कुछ लोग शायद लेह-मनाली रोड से गए होंगे.  

स्पेशल ट्रेनों का आखिरी गंत्वय उधमपुर ही होता है. जिले के एक अधिकारी ने बताया कि आखिरी ट्रेन उधमपुर 10 दिन पहले आई थी और उसमें 1600 यात्री थे. अधिकारी ने कहा कि उन्हें नहीं पता इन यात्रियों में से कितने लद्दाख जाने वाले मजदूर थे.

झारखंड सरकार और BRO में विवाद

झारखंड से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड के लिए मजदूरों का जाना वार्षिक प्रक्रिया है. हालांकि इस साल अप्रैल के महीने में ये कुछ देर के लिए रुकी रही क्योंकि झारखंड सरकार और BRO में कुछ विवाद था.

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने BRO के दशकों पुराने मजदूरों को स्थानीय लोगों के जरिए चुनने के सिस्टम पर आपत्ति जताई थी. सोरेन के मुताबिक इससे बिचौलियों का नेटवर्क मजदूरों का उत्पीड़न करते है क्योंकि कई शिकायतें आई हैं कि 25-30 फीसदी पेमेंट इन लोगों के पास चला जाता है.  

सोरेन ने कहा था कि BRO राज्य सरकार के साथ एक MoU साइन करके ही मजदूरों की भर्ती करे. ये MoU इंटर-स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन एक्ट 1979 के तहत होगा, जिसमें बिचौलियों का कोई प्रावधान नहीं है.

झारखंड सरकार को कथित रूप से रिपोर्ट मिली थी कि BRO मजदूरों का मेहनताना उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करता है, लेकिन बिचौलियों के पास इन मजदूरों के एटीएम कार्ड जमा होते हैं. ये बिचोलिये मजदूरों के अकाउंट से पैसे निकाल कर अपना 25-30 फीसदी कमीशन लेते हैं.

इसी विवाद के बीच रक्षा मंत्रालय ने BRO से ‘युद्ध स्तर’ पर लद्दाख के इंफ्रास्ट्रक्टर प्रोजेक्ट्स के लिए 8,000 मजदूरों का इंतजाम करने को कहा था. 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मजदूरों के पेमेंट पर BRO

BRO ने सोरेन, मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (लेबर) को विश्वास दिलाया कि संगठन 2021 से MoU साइन करेगी क्योंकि इसके लिए कुछ अप्रूवल चाहिए. BRO ने सोरेन की मजदूरों का मेहनताना जून 2020 से 15-20 फीसदी बढ़ाने और 10-15 का बीमा कवर देने की मांग भी मान ली.

BRO ने कथित रूप से कहा कि लद्दाख में कुछ रोड और पुल राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में ‘जल्दी’ बनाने हैं. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, काम करने की जगह और मजदूरों की स्किल के आधार पर लद्दाख के लिए जून 10 से पेमेंट 15,900-29,000 रुपये तक होगा.  

मजदूरों को मेडिकल सुविधा, राशन, कपड़े, रहने की जगह, मुफ्त में यात्रा और मेहनताना बंध जाने जैसी और कई सुविधा भी मिलेंगी.

सोरेन ने एक बार की अपील मान ली

हेमंत सोरेन ने BRO की इस बार MoU साइन न करने की बात मानते हुए कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है और साथ ही मजदूरों की इज्जत और अधिकारों को भी प्राथमिकता दी गई है."

सोरेन ने BRO से कहा कि अगले साल से मजदूरों का पूरा ध्यान रखा जाए.

(लेखक श्रीनगर के पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @ahmedalifayyaz है)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×