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NRC। MHA ने दिया है सभी राज्यों में डिटेंशन सेंटर बनाने का आदेश

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों में डिटेंशन सेंटर बनाने का आदेश दिया है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों ने सार्वजनिक तौर पर देश में डिटेंशन सेंटर की मौजूदगी से इनकार किया है. 22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में पीएम मोदी ने कहा डिटेंशन सेंटर को लेकर कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टी अफवाह फैला रही हैं. जबकि भारत में ऐसा कोई डिटेंशन सेंटर है ही नहीं. जबकि दो दिन बाद शाह ने सफाई देते हुए कहा, 'मोदी सरकार के आने के बाद देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं तैयार किया गया है.'

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‘कांग्रेस और कुछ अर्बन नक्सल अफवाह फैला रहे हैं कि सभी मुसलमानों को डिटेंशन सेंटरों में भेज दिया जाएगा. लेकिन न कोई इस देश के मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में भेज रहा है, न ही भारत में ऐसा कोई सेंटर मौजूद है.’
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

गृह मंत्रालय ने राज्यों को कहा: डिटेंशन सेंटर तैयार किए जाएं

अमित शाह ने कहा था कि मोदी सरकार के आने के बाद देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं तैयार किया गया है. लेकिन क्विंट को मिली जानकारी के मुताबिक, 11 दिसंबर को टीएमसी के राज्यसभा सांसद नदीमुल हक के सवालों के जवाब में गृह मंत्रालय ने पुष्टि करते हुए कहा है, 'अवैध या दोषी पाए गए विदेशी नागिरकों को वापस उनके देश भेजने से पहले हिरासत में रखने के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए कहा गया है.'

गृह मंत्रालय ने हक को बताया कि ‘9 जनवरी को इस विषय में मॉडल डिटेंशन सेंटर मैनुअल के साथ सारे दिशा-निर्देश सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को भेज दिए गए हैं.’ 

डिटेंशन सेंटर बनाने में होने वाले खर्च की पूरी जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा, ‘सरकार ने असम के मटिया और गोलपारा में 46 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च पर डिटेंशन सेंटर बनाने की मंजूरी दे दी है.’

‘संसद में दिए गए जवाब से लगता है कि सरकार ने सभी राज्यों में डिटेंशन सेंटर बनाने का विचार किया है.’
अंजली भारद्वाज, एक्टिविस्ट

इससे पूरी तरह साफ है कि सरकार ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में डिटेंशन सेंटर बनाने के आदेश दिए है. हालांकि, सवाल यह है कि, अगर देशभर में NRC लागू करने की कोई योजना नहीं है तो सरकार डिटेंशन सेंटर क्यों बनवाना चाहती है?

अब तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे अवैध विदेशी नागरिकों से निपटा जाएगा, फिर सवाल यह है क्या यह परेशानी पुरानी नहीं थी? या राज्यों में अचानक अवैध विदेशी नागरिकों की तादाद बढ़ने का कोई नया आंकड़ा सरकार के हाथ लगा है जिससे देश भर में डिटेंशन सेंटर बनाने की जरूरत पड़ गई?

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ऊंची दीवारें, कंटीली तार: डिटेंशन सेंटर पर गृह मंत्रालय के निर्देश

द क्विंट को मॉडल डिटेंशन सेंटर मैनुअल (चैप्टर 4) मिली है, जिसका शीर्षक है ‘डिटेंशन सेंटर/कैंप में दी जाने वाली सुविधाएं’.

इस चैप्टर के कुछ अहम तथ्य इस तरह से हैं:

  • यह डिटेंशन सेंटर जेल परिसर के बाहर बनाए जाएंगे
  • 24 घंटे सुरक्षा और निगरानी के लिहाज से डिटेंशन सेंटर में CCTV कैमरे लगाए जाएंगे और पर्याप्त सुरक्षाकर्मी मुस्तैद किए जाएंगे
  • डिटेंशन कैंप चारदीवारी से घिरा होगा, जिसके ऊपर घनी कंटीली तार की घेराबंदी होगी. चारदीवारी कम से कम 10 फीट ऊंची होगी और एक मेन गेट होगा, जिससे आने-जाने के लिए सख्त जांच से गुजरना होगा. पूरी चारदीवारी पर रोशनी के इंतजाम होंगे.
  • विदेशी नागरिकों को एक डिटेंशन सेंटर से दूसरे डिटेंशन सेंटर भेजने की सुविधा मौजूद होगी
  • हर डिटेंशन सेंटर में एक सेल होगा जिससे हिरासत में रखे गए विदेशी नागरिक अपने मिशन/दूतावास/कांसुलेट या रिश्तेदारों से तय प्रक्रिया के तहत संपर्क कर सकेंगे
  • डिटेंशन सेंटर में बिजली, जेनरेटर, पानी, बिस्तर, टॉयलेट, रसोई और सूचना-संचार की जरूरी सुविधाएं मौजूद होंगी
  • पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग रहने के इंतजाम होंगे
  • यह सुनिश्चित किया जाए कि एक परिवार के सदस्यों को अलग न किए जाए, उन्हें एक ही डिटेंशन सेंटर में रखा जाए (हालांकि, मैनुअल से यह स्पष्ट नहीं है कि एक परिवार के लोगों को एक ही सेल में रखा जाएगा या नहीं)
  • हिरासत में रखे गए लोगों को परिवारवालों से मिलने की इजाजत होगी, दूसरे लोगों से मिलने के लिए 2016 के जेल मैनुअल के प्रावधान लागू होंगे.
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नवंबर 2018 में रिलीज हुई डॉक्यूमेंट्री ‘बिटवीन फियर एंड हेट्रिड: सर्वाइविंग माइग्रेशन डिटेंशन इन असम’ में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने असम में बने डिटेंशन सेंटर्स की दयनीय हालत का खुलासा किया.

द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक:

‘हमारी स्टडी में पता चला कि डिटेंशन सेंटर में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें कई महीनों और सालों से हिरासत में रखा गया है, उन्हें परोल की सुविधा भी नहीं दी गई है. उन्हें अपने परिवार से दूर रखा गया है और बाहरी दुनिया से संपर्क सीमित है. किसी भी तरह की गतिविधि और आजीविका की पाबंदी के अलावा अनिश्चितकालीन हिरासत से उनके और उनके परिवार के लोगों की मानसिक हालत पर बहुत बुरा असर पड़ता है.’

डॉक्यूमेंट्री में डिटेंशन सेंटर में मौजूद बंदियों को दी जाने वाली जरूरी सुविधाओं पर भी रोशनी डाली गई है. सवाल यह है सरकार सभी राज्यों में जो डिटेंशन सेंटर बनाने जा रही है क्या वो इससे बेहतर होंगे?

मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्पेशल मॉनीटर के तौर पर असम के डिटेंशन सेंटर का दौरा किया. उन्होंने द क्विंट को बताया,

‘अब NRC को पूरे देश में लागू किया जाएगा और जैसा कि हम जानते हैं नागरिकता संशोधन कानून मुसलमानों के लिए लिए नहीं है, डिटेंशन सेंटर के जरिए भारत में कॉन्सट्रेशन कैंप (बंदी-शिविर) की परिकल्पना की जा रही है.
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केन्द्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने के लिए 3,941 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है. नवंबर 2014 में गृह मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा था:

‘NRC बनाने की प्रक्रिया में NPR पहला कदम है जिसके तहत हर निवासी की नागरिकता की जांच होगी.’

क्या NPR के दौरान भारतीय नागरिकता साबित करने में नाकाम होने वाल लोगों को डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा?

हां

‘जो लोग पूरा दस्तावेज मुहैया नहीं करा सकेंगे उन्हें ‘संदिग्ध वोटर’ की श्रेणी में डाल दिया जाएगा और उनकी नागरिकता सवालों के घेरे में आ जाएगी. NPR, NRC का अभिन्न हिस्सा है. अगर कोई निवासी मुस्लिम समुदाय से आता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा क्योंकि दूसरे समुदाय के लोगों को CAA का सहारा होगा, जो कि हिंदू और दूसरे समुदाय के लोगों को नागरिकता देता है.’ 
अंजली भारद्वाज, एक्टिविस्ट

अंजली ने बताया कि NPR के जरिए सरकार एक डेटाबेस तैयार कर लेगी जिससे NRC जैसी प्रक्रिया आसान हो जाएगी.

‘जो भी सारे दस्तावेज दिखाने में विफल होगा, उसे डिटेंशन सेंटर भेजा जा सकता है, चाहे उसका परिवार कई पीढ़ियों से भारत में क्यों ना रह रहा हो. लेकिन यह लोग किसी दूसरे देश से नहीं आए हैं. तो उन्हें कहां भेजा जाएगा, किसी देश में भेजा जाएगा?’
अंजली भारद्वाज, एक्टिविस्ट
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द क्विंट के जिन सवालों का गृह मंत्रालय ने अभी तक जवाब नहीं दिया है वो इस तरह हैं:

  • डिटेंशन सेंटर बनाने की एडवाइजरी का किन-किन राज्यों ने पालन किया है? कृपया उन राज्यों के नाम बताएं.
  • कृपया उन राज्यों के नाम बताएं जिन्होंने डिटेंशन सेंटर बनाने से मना कर दिया है

सरकार का जवाब मिलते ही द क्विंट इस रिपोर्ट को अपडेट करेगा.

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