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लखनऊ गोलीकांड: विवेक की हत्या के 3 वर्जन और कई अनसुलझे सवाल

अगर चश्मदीद के नजरिए से देखें तो पुलिस और आरोपी कॉन्स्टेबल की शुरुआती कहानी में घालमेल

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लखनऊ में एक पुलिस कॉन्स्टेबल की गोली से ऐपल कंपनी के सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की मौत हो गई है. विवेक तिवारी बीती रात अपनी सहयोगी सना खान के साथ कंपनी के एक इवेंट से लौट रहे थे. इसी दौरान कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी ने उनके गले में गोली मार दी.

मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. पहले सफाई देने की कोशिश कर रही पुलिस ने आरोपी कॉन्सटेबल पर धारा 302 के तहत हत्या का केस भी दर्ज किया है. मामले में पुलिस कॉन्स्टेबल और परिवार वालों का वर्जन अलग-अलग है.

पुलिस का वर्जन

पुलिस का कहना है कि उसने विवेक को रोकने की कोशिश लेकिन उन्होंने गाड़ी नहीं रोकी. इसके बाद कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी ने गोली चला दी. घबराकर विवेक की गाड़ी एक पिलर से टकरा गई. इसमें विवेक को गहरी चोट आई. फिर पुलिस विवेक को लेकर हॉस्पिटल गई, जहां उसकी मौत हो गई.

आरोपी कॉन्स्टेबल का वर्जन

मैंने गोली नहीं चलाई, गोली गलती से चल गई. उसने मुझे मारने के इरादे से तीन बार टक्कर मारने की कोशिश की. मेरी मांग है कि मेरी FIR भी लिखी जाए.
प्रशांत चौधरी, विवेक की हत्या का आरोपी कॉन्स्टेबल

यूपी एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने बताया 'अगर गोली चलाने की जरूरत भी पड़ गई थी तो पहले टायर पर चलानी चाहिए थी, उसके बाद भी ऐसा करने (मारने) की जरूरत नहीं थी.'

लेकिन घटना के वक्त विवेक के साथ मौजूद सना ने कुछ और ही तस्वीर बयां की है. सना का कहना है कि पहले पुलिस वालों से बहस हुई, जिसके बाद गोली मारी गई.

पुलिस ने बाइक पीछे लगाकर मारी गोली: सना

सना के मुताबिक, सीएमएस गोमतीनगर के पास उनकी गाड़ी चल रही थी. तभी सामने से दो पुलिसवाले रॉन्ग साइड से आए. शायद वो लोग इसलिए आए क्योंकि कार में एक लड़की बैठी हुई थी. सना ने आरोप लगाया है कि कॉन्स्टेबल ने बाइक दौड़ाकर विवेक के गले में गोली मारी. सना की शिकायत पर ही हत्या का मामला दर्ज किया गया है.
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पुलिस कर रही है गुमराह: परिवार

पीड़ित विवेक की पत्नी कल्पना ने पुलिस पर मामले की लीपापोती करने का आरोप लगाया है. उन्होंने यूपी सीएम से भी कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

पूरे मामले में पुलिस ने कार्रवाई पर गुमराह किया है और लीपापोती करने की कोशिश की है. गाड़ी पर सामने से गोली मारी गई है. चलो मैं मान लेती हूं, अगर वो लड़की के साथ संदिग्ध हालत में थे, तो पकड़ते और कार्रवाई करते. अगर गाड़ी नहीं रोक रहे थे तो RTO जाकर गाड़ी नंबर से एड्रेस पता करते और घर से गिरफ्तार कर लेते.
कल्पना तिवारी, पीड़ित विवेक तिवारी की पत्नी

'यह सीधा-सीधा मर्डर है'

पुलिस में काम कर चुके विवेक के चाचा ने घटना को सीधे मर्डर करार दिया है.

मैंने पुलिस में इंस्पेक्टर के तौर पर काम किया है. मैं जानता हूं किसी को कभी गले में गोली नहीं मारी जाती. ऐसी घटना कभी नहीं हुईं, जैसी योगीराज में हो रही हैं.
तिलकराज तिवारी, विवेक के चाचा

बरकरार हैं अनसुलझे सवाल

  1. क्या विवेक ने भागने की कोशिश की और गाड़ी नहीं रोकी. और अगर नहीं भी रोकी तो ऐसी कौन सी जरूरत थी, जो पुलिस को गोली चलाना पड़ा.
  2. अगर गोली चलाने की जरूरत पड़ी तो ऐसा कैसे हुआ कि सीधे गले में गोली मार दी गई. जबकि पहले गाड़ी को रोकने की कोशिश की जानी चाहिए थी.
  3. कहा जा रहा है पहले विवेक की पुलिस से बहस हुई. सवाल है आखिर बहस में ऐसा क्या हो गया, जो इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा.

घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ‘ये एनकाउंटर नहीं है. मामले में जांच की जाएगी. अगर जरूरत पड़ी तो केस CBI को सौंपा जाएगा.’

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