ADVERTISEMENTREMOVE AD

डिजिटल इंडिया: भारत में लोकप्रिय सरकारी वेबसाइट की सूची

सरकारी वेबसाइट पर भारतीय भाषाओं की स्थिति क्या है?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

डिजिटल इंडिया को गति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहल करते रहे हैं. इसके बाद जाहिर है, इसका भार संबंधित मंत्रालयों और विभागों पर जाता है कि वे डिजिटल इंडिया को प्रमोट करें. उनसे उम्मीद की जाती है कि वे अपनी-अपनी वेबसाइट को लगातार अपडेट करते रहें, साथ ही उनके कंटेंट विभिन्न भारतीय भाषाओं में भी हों. तो सवाल है कि इस पैमाने पर आखिर आज भारतीय सरकारी वेबसाइट की स्थिति क्या है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लोकप्रिय सरकारी वेबसाइट को पहचानने के कई तरीके हैं. लोगों की निजी पसंद और थर्ड पार्टी रेटिंग सर्विसेज. मई 2017 में सिमिलर वेब और अप्रैल 2017 में कॉमस्कोर से सबसे लोकप्रिय वेबसाइट का चुनाव किया गया है. यह देखकर आश्चर्य नहीं हुआ कि कुछ वेबसाइट दोनों ही सूची में शामिल थे. मैं इनमें ये फीचर्स को ढूंढ रहा था:

  1. क्या ये साइट अपडेटेड है?
  2. क्या ये साइट किसी भारतीय भाषा का समर्थन करती है?
  3. क्या ये साइट मोबाइल पर इस्तेमाल करने में सरल है?
  4. क्या ये साइट ट्विटर और फेसबुक पर सक्रिय है?
कुछ वेबसाइट पर ट्रैफिक स्वाभाविक रूप से सीजनल है. उदाहरण के लिए आमतौर पर भारतीय लोग साल में तीन बार टैक्स फाइल करते हैं. यही वजह है कि टैक्स भरने के सीजन में इनकम टैक्स साइट पर ट्रैफिक बढ़ जाता है. इस वक्त आधार की साइट ढेर सारा ट्रैफिक आकर्षित कर रही है.

नीचे के टेबल में जिन वेबसाइट के नाम अंग्रेजी के स्मॉल लेटर्स में हैं वो SimilarWeb से लिए गए हैं जबकि जिन वेबसाइट का नाम कैपिटल लेटर्स में है वे Comscore से लिए गए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लोकप्रिय सरकारी वेबसाइट:

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डोमेन नेम के नामकरण का मानकीकरण

लिहाजा जरूरी ये है कि सरकार अपने सरकारी साइट के डोमेन नेम का मानकीकरण करे.

  1. ये अच्छी बात है कि बहुत सारे साइट्स .nic.in से .gov.in पर चले गए हैं.
  2. .com / .org के डोमेन नामों के उपयोग से बचें, क्योंकि ये विश्वास को कम करता है. जब भी मैं .gov.in डोमेन नाम को देखता हूं तो मैं समझ जाता हूं कि ये आधिकारिक सरकारी वेबसाइट है.
  3. डोमेन नामों में “india” के उपयोग से बचें- जैसे कि EPFindia.com में वही कंटेंट हैं जैसा कि epfindia.gov.in में है, pmindia.gov.in में वैसे ही कंटेंट हैं जैसा कि pm.gov.in में है, passportofindia.gov.in में वैसा ही कंटेंट है जैसा कि passport.gov.in में और gujaratindia.com में वही कंटेंट है जैसा कि gujarat.gov.in में है.
  4. हालांकि चीजें अब पहले से बेहतर हुई हैं. इससे पहले कर्नाटक की सरकार को karunadu.gov.in को अपना डोमेन नेम बनाने की इजाजत थी.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सरकारी वेबसाइट पर भारतीय भाषाओं की स्थिति

सरकारी वेबसाइट पर हालांकि तमाम भारतीय भाषाओं की मांग है, लेकिन ज्यादातर के हिन्दी वर्जन ही उपलब्ध हैं. केवल हिन्दी भाषा का प्रयोग उत्तर भारतीय राज्यों में स्वीकृत हो सकता है, परंतु केंद्र सरकार की वेबसाइट पर तो बिल्कुल भी नहीं. कुछ दक्षिण भारतीय राज्यों की वेबसाइट पर सिर्फ संबंधित राज्यों की भाषा ही उपलब्ध है. फिर भी ये एक अच्छी शुरुआत है. कम से कम MakeInIndia.com जैसे वेबसाइट पर तो यूरोपीय भाषाएं भी उपलब्ध होनी ही चाहिए.

भाषाओं के लिहाज से अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है. सरकारी वेबसाइट में सिर्फ नेवीगेशन लेबल पर भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल से हम उस सोच को साकार नहीं कर पाएंगे, जिसके लिए हमने इन्हें बनाया है. इन वेबसाइट के कंटेंट भी भारतीय भाषाओं में होने चाहिए.

निष्कर्ष

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को चाहिए कि वो अपनी सभी बड़ी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराएं. मसलन- प्रॉपर्टी टैक्स पेमेंट, यूटिलिटी बिल पेमेंट, ट्रैफिक पुलिस द्वारा लगाए गए जुर्माने का भुगतान, कुकिंग गैस की बुकिंग आदि. ये सही है कि कई शहरों में ये सुविधाएं हैं. लेकिन हमें ये सुविधाएं हर महानगर और शहर में चाहिए. और यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैशलेस इकॉनमी की दृष्टि (cashless economy vision) को मजबूती देती है. सरकार को अब अपने वेबसाइट को प्रभावी तरीके से चलाने पर ध्यान देना होगा. खासतौर से राज्यों के आधिकारिक सरकारी वेबसाइट को. क्योंकि ये भयावह तरीके से धीमे चलते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत के ज्यादातर इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले नेट को अपने मोबाइल से चलाते हैं. ऐसे में ये बहुत अहम हो जाता है कि सरकार अपने वेबसाइट को भारतीय भाषाओं में चलाए और वो मोबाइल वेब फ्रेंडली हों. इसके बाद ही देश की बहुसंख्यक आबादी डिजिटल इंडिया का लाभ उठा पाएगी.

READ IN ENGLISH:

(ये आर्टिकल बी.जी. महेश ने लिखा है, जिसे mahesh.com से साभार लिया गया है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×