ऑनलाइन न्यूज पब्लिशर्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से केंद्र ने 15 दिन के भीतर नए डिजिटल मीडिया नियमों के अनुपालन का ब्योरा मांगा है. मतलब कि सरकार ये जानना चाहती है कि डिजिटल मीडिया पब्लिशर्स नए नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं और इन नियमों के पालन में पब्लिशर्स क्या-क्या कदम उठा चुके हैं.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 25 फरवरी को 'मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता नियम, 2021' को नोटिफाई किया था और 26 मई से ये नियम लागू किए गए थे.
इससे पहले 26 मई को आईटी मिनिस्ट्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को लेटर लिखकर पूछा था कि उन्होंने डिजिटल नियमों का पालन किया है या नहीं? साथ ही नए डिजिटल नियमों के अनुपालन पर जल्द से जल्द प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया था.
डिजिटल न्यूज , ओटीटी, सोशल मीडिया के लिए नोटिफाई किए गए थे नियम
बता दें कि इस साल 25 फरवरी को केंद्र सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, डिजिटल न्यूज मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी के लिए नई गाइडलाइंस लेकर आई. डिजिटल न्यूज मीडिया को अब टीवी और अखबार दोनों के नियम पर चलना होगा. तीन लेयर निगरानी भी होगी.
ये जो नई गाइडलाइन हैं वो तीन अलग-अलग सेक्शन को लेकर है.
- पहला- सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर, स्नैपचेट.
- दूसरा- डिजिटल न्यूज मीडिया जैसे द क्विंट, आजतक डॉट कॉम जैसे प्लेटफॉर्म
- तीसरा-ओटीटी प्लेटफॉर्म यानी नेटफ्लिक, अमेजन, एमएक्स प्लेटर जैसे प्लेटफॉर्म..
डिजिटल मीडिया के लिए क्या हैं नए नियम?
डिजिटल मीडिया के नए नियमों के तहत प्रेस काउंसिल,केबल टीवी एक्ट के नियमों का पालन करना होगा. थ्री लेवल शिकायत निवारण सिस्टम बनाना होगा. सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी. शिकायत निवारण अफसर तैनात करना होगा जो 15 दिन में सुनवाई करे. सरकार भी अपना कोई निगरानी सिस्टम बनाएगी.
थ्री लेवल शिकायत निवारण सिस्टम क्या है?
-सेल्फ रेगुलेशन पब्लिशर करेंगे- मतलब कि, शिकायत निवारण अफसर तैनात करना होगा, 15 दिन में सुनवाई करनी होगी
- सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी- एक ऐसी बॉडी जो रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट जज या कोई बेहद प्रतिष्ठित इंसान इसका नेतृत्व करेगा.
- ओवरसाइट मैकेनिज्म- सरकार कोई ऐसा सिस्टम बनाएगी जो ओवरसाइट करेगा. ये जरा पेंच वाला सिस्टम लग रहा है. आखिर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के बाद फिर एक ओवरसाइट मैकेनिज्म की जरूरत क्यों? जाहिर है इस पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. लोग कह रहे हैं जब मौजूदा कानूनों के तहत ही इतनी रोक टोक है तो फिर और सख्ती से क्या करेंगे?
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