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अपनी पार्टी या BJP: DMK में जगह नहीं मिली तो क्या करेंगे अलागिरी?

अमित शाह से मिलेंगे अलागिरी?

Published
भारत
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तमिलनाडु की राजनीति में एक बार फिर चौंकाने वाली घटनाओं के आसार दिख रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि DMK चीफ एमके स्टालिन के अलग हो चुके बड़े भाई अलागिरी को अगर DMK में वापस नहीं लिया गया तो वो अपनी पार्टी लॉन्च कर सकते हैं. या फिर अलागिरी बीजेपी से भी हाथ मिला सकते हैं.

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हालांकि, अलागिरी ने इन खबरों को खारिज किया है. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, "ये सब बनाई हुईं कहानियां हैं. बीजेपी से किसी ने मुझसे बात नहीं की है. गृह मंत्री मुझसे क्यों मिलेंगे?"

अमित शाह से मिलेंगे अलागिरी?

DMK के नजदीकी सूत्रों ने पुष्टि की है कि अलागिरी को बीजेपी से पार्टी या गठबंधन में शामिल होने का ऑफर आया है, लेकिन पूर्व DMK नेता ने इसे ठुकरा दिया है.

तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष एल मुरुगन ने कहा, "मुझे आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. मैंने एमके अलागिरी से बात नहीं की है. मुझे कुछ नहीं पता. कई लोग पार्टी में शामिल हो रहे हैं. अगर वो शामिल होना चाहते हैं, तो हम उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं."

ऐसी अफवाहें उड़ रही हैं कि अलागिरी गृह मंत्री अमित शाह से उनकी तमिलनाडु में 21 नवंबर के दौरे के दौरान मुलाकात करेंगे. शाह 2021 विधानसभा चुनाव की तैयारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने आ रहे हैं.

मुझे खुशी है कि एल मुरुगन ने ऐसा कहा. लेकिन मैंने कुछ फैसला नहीं किया है. मैं समर्थकों से बात करने के बाद ही फैसला लूंगा. 21 को कोई मुलाकात नहीं है. सब अफवाहें हैं. 
ANI से एमके अलागिरी
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अलागिरी का ज्यादा प्रभाव नहीं होगा: DMK सूत्र

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि अलागिरी अपनी पारिवारिक पार्टी में लौट आएंगे. कुछ पार्टी काडर ने कहा कि अलागिरी के पार्टी जॉइन करने से DMK में एकता बढ़ेगी और विरोधी चौंक जाएंगे.

सूत्रों का कहना है कि 23 नवंबर को DMK की उच्च-स्तरीय कमेटी बैठक है और इसमें फैसला होगा कि अलागिरी का पार्टी में कोई भविष्य है या नहीं.

हालांकि, एक DMK नेता ने कहा कि अलागिरी के अपनी पार्टी बनाने या बीजेपी में शामिल होने से ‘बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा.’ 
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कौन हैं अलागिरी?

69 साल के अलागिरी को 2014 में DMK से निकाल दिया गया था. उस समय उनके पिता एम करूणानिधि पार्टी के अध्यक्ष थे.

अलागिरी को हमेशा स्टालिन का प्रतिद्वंदी समझा जाता है और करूणानिधि ने स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी चुना था.

पार्टी से निकाले जाने के बाद अलागिरी ने हमेशा लो प्रोफाइल रखी. उन्हें आखिरी बार किसी बड़ी उपस्थिति में सितंबर 2018 में देखा गया था, जब उन्होंने करूणानिधि के निधन के 30 दिन बाद चेन्नई में एक रैली आयोजित की थी.

एक समय पर अलागिरी पार्टी के साउथ जोन ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी थे और मदुरई में सबसे प्रभावशाली राजनीतिक हस्ती भी. उनका संबंध जमीनी स्तर के काडर तक था. वो पार्टी के मुखपत्र 'मुरासोली' के भी इंचार्ज थे.

2009 में वो मदुरई से सांसद बने और मनमोहन सिंह की कैबिनेट में केंद्रीय केमिकल मंत्री बने थे.  

मार्च 2014 में अलागिरी ने पार्टी हाई कमान पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया था. इसके बाद करूणानिधि के निवास पर काफी हंगामे के बाद उन्होंने अलागिरी को पार्टी से बाहर कर दिया था.

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