गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित डॉक्टर कफील खान (Kafeel Khan) को भड़काऊ भाषण मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉक्टर कफील खान के खिलाफ क्रिमिनल प्रोसीडिंग (आपराधिक कार्यवाही) को रद्द कर दिया है.
कफील खान ने अदालत के आदेश पर कहा, मेरी जिस स्पीच को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये देश तोड़ने वाला नहीं, बल्कि देश जोड़ने वाला भाषण था, प्यार और भाईचारे का भाषण था, लेकिन अफसोस है कि जिन लोगों की मानसिकता अली और बजरंगबली में बांटने वाली है, श्मशान-कब्रिस्तान में बांटने वाली है, जाति और धर्म के नाम पर समाज को बांटते हैं उन्हें मेरा भाईचारे और प्यार का भाषण भड़काऊ लगा.
कफील खान ने कहा कि मेरे खिलाफ अदालत ने चार्जशीट और क्रिमिनल प्रोसीडिंग को खत्म करने का आदेश दिया.
बता दें कि डॉक्टर कफील खान पर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 13 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था. इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने कफील खान को 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार किया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने कफील खान को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट लगाकर 7 महीने तक जेल में रखा था.
1 सितंबर 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 7 महीने से जेल में बंद कफील खान के खिलाफ रासुका हटाने का आदेश देते तुरंत रिहा करने के भी आदेश दिया था. कोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर के भाषण में नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने जैसा कोई प्रयास नहीं नजर आया था.
कफील खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद कहा,
"यह भारत के लोगों के लिए एक बड़ी जीत है और न्यायपालिका में हमारे विश्वास को पुनर्स्थापित करता है. माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ योगी आदित्यनाथ सरकार की मनमानी पूरी तरह से उजागर हो गई है. इस फैसले से भारत भर की जेलों में बंद सभी लोकतंत्र समर्थक नागरिकों और कार्यकर्ताओं को आशा मिलेगी. भारतीय लोकतंत्र की जय हो."
बता दें कि साल 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर खान को निलंबित कर दिया गया था. सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी के कारण कई बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके बाद उन पर कार्रवाई की गई थी.
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