राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) चार दिनों के कानपुर दौरे पर हैं. लेकिन कानपुर पहुंचने से पहले ही उन्होंने एक विवाद खड़ा कर दिया. एक सार्वजानिक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वो राष्ट्रपति के तौर पर 5 लाख महीने की सैलरी (President Income) पाते हैं, पर वो ज्यादा बचा नहीं पाते क्योंकि वो हर महीने 2.75 लाख टैक्स चुकाते हैं.
कोविंद ने कहा कि इसकी वजह से वो पब्लिक सर्विस से जुड़े बाकी अधिकारियों से कम पैसा बचा पाते हैं.
"राष्ट्रपति को देश में सबसे ज्यादा तनख्वाह मिलती है और वो टैक्स भी देता है. लेकिन कोई कहता है कि आपको पांच लाख महीने के मिलते हैं... सब इसी पर बात करते हैं. उसमें से हर महीने 2.75 लाख टैक्स जाता है, तो कितना बचता है? हमारे अधिकारियों को इस बचे हुए पैसे से ज्यादा मिलता है. यहां बैठे टीचरों को इससे ज्यादा मिलता है."राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
कोविंद के इस बयान ने उनकी सैलरी पर चर्चा शुरू कर दी है. क्या राष्ट्रपति की सैलरी पर टैक्स लगता है? अगर हां, तो कितना? क्या उन्हें कोई टैक्स फायदा मिलता है? हमने इन सवालों के जवाब देने की कोशिश की है.
राष्ट्रपति को इनकम टैक्स से छूट नहीं मिलती
प्रेसिडेंटस (इमोल्यूमेन्ट एंड) पेंशन एक्ट 1957 राष्ट्रपति की सैलरी, इमोल्यूमेन्ट और रिटायरमेंट के बाद के फायदों के प्रावधान बताता है.
राष्ट्रपति की सैलरी भारत के कंसोलिडेटेड फंड से दी जाती है. 2017 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति की सैलरी 1.5 लाख से 5 लाख प्रति महीना बढ़ा दी थी. सैलरी के अलावा राष्ट्रपति को फ्री हाउसिंग और जिंदगीभर के लिए मुफ्त मेडिकल ट्रीटमेंट जैसे अलाउंस भी मिलते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के साथ सेक्शन 14 और सेक्शन 10 पढ़ने से पता चलता है कि जिस इनकम को किसी कानून के तहत स्पष्ट रूप से इनकम टैक्स से छूट नहीं मिली होती है, उस पर टैक्स देना पड़ेगा.
न ही इनकम टैक्स और न ही प्रेसिडेंटस (इमोल्यूमेन्ट एंड) पेंशन एक्ट अलग से राष्ट्रपति की सैलरी को टैक्स से छूट देता है. इसलिए ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति टैक्स देते हैं. लेकिन ये साफ नहीं है कि राष्ट्रपति की इनकम का नेचर क्या है- मतलब कि क्या ये 'सैलरी' की तरह दी जाती है या फिर 'दूसरे सोर्स से इनकम' की तरह.
हालांकि, एक तरह है जिससे राष्ट्रपति इनकम टैक्स देने से बच सकते हैं. वॉलंटरी सरेंडर ऑफ सैलरीज (एक्सेम्पशन ऑफ टैक्सेशन) एक्ट 1961 के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति अपनी सैलरी कंसोलिडेटेड फंड को सरेंडर करता है तो टैक्सेशन से बचा जा सकता है.
लेकिन ये छूट सिर्फ राष्ट्रपति के लिए नहीं है. कोई भी व्यक्ति जो अपनी इनकम केंद्र सरकार के प्रशासन में आने वाले फंड में सरेंडर करता है, इनकम टैक्स से बच सकता है.
राष्ट्रपति को कितना इनकम टैक्स देना होता है?
राष्ट्रपति के इनकम टैक्स को कैलकुलेट करने के लिए कुछ चीजों का पता होना जरूरी है: जैसे कि वरिष्ठ नागरिक का दर्जा, क्या 'सैलरी' की तरह दी जाती है या फिर 'दूसरे सोर्स से इनकम' की तरह और क्या वो टैक्स बचाने के लिए कोई निवेश करते हैं या नहीं.
राष्ट्रपति के निवेश और इनकम के तरीके की जानकारी के आभाव में चार्टर्ड अकाउंटेंट से वकील बने दीपक जोशी ने राष्ट्रपति का इनकम टैक्स कैलकुलेट करने की कोशिश की.
"मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 5 लाख प्रति महीने की सैलरी पर टैक्स 17.60 लाख सालना होता है, जो कि एक महीने का करीब 1.47 लाख बनता है. इस कैलकुलेशन में माना गया है कि राष्ट्रपति ने कन्सेशनल टैक्स रेट नियम को चुना है. लेकिन इसमें किसी निवेश की वजह से डिडक्शन और टैक्स छूट को नहीं लिया गया है क्योंकि उनकी जानकारी नहीं है. हालांकि, अगर राष्ट्रपति ने कन्सेशनल टैक्स रेट नियम नहीं चुना है तो टैक्स बढ़कर 18.42 लाख सालाना या करीब 1.53 लाख महीने का हो जाता है."दीपक जोशी
तो 2.75 लाख का आंकड़ा कहां से आया? जोशी कहते हैं कि राष्ट्रपति शायद कोविड की वजह से 30 फीसदी के पे कट को भी जोड़ रहे हैं.
"5 लाख की सैलरी पर 30 फीसदी का पे कट मतलब कि राष्ट्रपति को पहले से 1.5 लाख कम मिल रहे होंगे. पे कट के साथ टैक्स कैलकुलेट करने पर वही आंकड़ा आता है जो राष्ट्रपति कह रहे थे. शायद वो यही कहना चाहते थे."दीपक जोशी
(राष्ट्रपति कोविंद ने कहा है कि वो एक साल के लिए अपनी 30 फीसदी सैलरी छोड़ देंगे जिससे कि कोविड के खिलाफ लड़ाई के लिए ज्यादा फंड उपलब्ध रहे.)
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