योगी आदित्यनाथ सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया है कि सस्पेंड किए गए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफील खान (Kafeel Khan) का निलंबन जारी रखा जाएगा, क्योंकि उनके खिलाफ एक अलग अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी में कई बच्चों की मौत हुई थी, इस मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए अगस्त 2017 में निलंबित किए जाने के बाद, उन्हें निदेशक, चिकित्सा शिक्षा के कार्यालय से संलग्न होने की अवधि के लिए कार्रवाई की गई है.
सरकार ने हाईकोर्ट में बताया कि उनके खिलाफ निलंबन का एक अलग आदेश पारित किया गया है. सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया, "यह कार्यवाही अभी समाप्त होनी है और इस निलंबन का आदेश जारी है." हाईकोर्ट डॉ कफील की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिन्होंने 22 अगस्त, 2017 को सेवा से अपने निलंबन को चुनौती दी है.
इससे पहले, 6 अगस्त, 2021 को, राज्य सरकार ने 24 फरवरी, 2020 के अनुशासनात्मक प्राधिकारी के आदेश के बारे में कोर्ट को सूचित किया था, जिसके तहत आगे की जांच का निर्देश दिया गया.
दो हफ्ते के भीतर सरकार से मांगा जवाब
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अब राज्य सरकार को एक हलफनामे के जरिए दो हफ्ते के भीतर, बाद के निलंबन आदेश के साथ-साथ 22 अगस्त, 2017 के निलंबन के प्रारंभिक आदेश से संबंधित अन्य आवश्यक तथ्यों को रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया है, जिसके चलते डॉ कफील को निलंबित किया गया था. कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 31 अगस्त तय की है.
वर्तमान रिट याचिका में, जिसके द्वारा डॉ कफील खान ने अगस्त 2017 के निलंबन के आदेश को चुनौती दी है, उन्होंने कहा है कि शुरू में नौ व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही की गई थी. उन्होंने कहा, "याचिकाकर्ता के साथ निलंबित किए गए लोगों में से सात को अनुशासनात्मक कार्यवाही पूरी होने तक बहाल कर दिया गया है."
29 जुलाई, 2021 के अपने आदेश में, हाईकोर्ट ने इस सबमिशन पर ध्यान देते हुए कहा था, "प्रतिवादी निलंबन के आदेश को जारी रखने का औचित्य साबित करने के लिए बाध्य हैं जो चार साल से अधिक समय से जारी है." इससे पहले हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था कि चार साल से डॉ कफील खान के निलंबन को लेकर कोई फैसला क्यों नहीं लिया गया. साथ ही कोर्ट ने पूछा था कि कफील खान को वापस सेवा में क्यों नहीं लिया जा रहा है.
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