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कम्यूनिकेशन ठप होने के बीच कश्मीर में बढ़ी DTH टीवी,रेडियो की मांग

कश्मीर में पाबंदियों के बीच DTH टीवी और रेडियो ही बचे हैं खबरों के स्रोत

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जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को रद्द किए जाने के बाद सुरक्षा कारणों से घाटी में इंटरनेट और संचार सेवाएं 5 अगस्त के बाद बंद कर दी गई थीं. ऐसे में कश्मीर में केबल टीवी सर्विस और इंटरनेट के अभाव में डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) डिश टीवी कनेक्शन और ट्रांजिस्टर रेडियो की मांग बढ़ी है.

हालांकि, 20 दिनों के बाद घाटी के कुछ हिस्सों में BSNL लैंडलाइन कनेक्शन बहाल कर दिए गए थे, लेकिन मोबाइल फोन कनेक्टिविटी और इंटरनेट सेवाएं पिछले 31 दिनों से बंद हैं.

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DTH डिश टीवी की डिमांड बढ़ी

आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद प्रशासन के निर्देश पर केबल टीवी ऑपरेटरों ने भी अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं. लिहाजा, कश्मीर में डीटीएच डिश टीवी कनेक्शन की मांग काफी बढ़ गई है.

श्रीनगर में डिश टीवी विक्रेता अब्दुल हमीद ने कहा, ‘मैंने पिछले 30 दिनों के दौरान श्रीनगर शहर के कुछ हिस्सों में तीन दर्जन से ज्यादा डीटीएच कनेक्शन लगाए हैं और प्रतिबंधों के बावजूद बड़ी संख्या में ग्राहक उमड़ रहे हैं और इनकी कतारें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं.’

हामिद ने बताया-

नए DTH कनेक्शन एक्टिव करने के लिए कोई इंटरनेट नहीं होने के कारण लोग DTH सर्विस प्रोवाइडर्स को फोन करने और नए कनेक्शनों को एक्टिव कराने के लिए लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करते हैं. मौजूदा डिश टीवी कनेक्शन भी इस तरह रिचार्ज किए जा रहे हैं.

TV और रेडियो ही बचे हैं खबरों के स्रोत

घाटी के कई हिस्सों में पाबंदियां होने के कारण खबरें मुश्किल से मिल पा रही हैं, ऐसे में घरेलू और विदेशी टीवी चैनल लोगों के लिए समाचार का एक प्राथमिक स्रोत बन गए हैं.

उत्तरी कश्मीर के गांदरबल जिले में रहने वाले मुहम्मद शफी ने कहा-

“अब हम अलग-अलग टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित समाचारों पर पूरी तरह से निर्भर हैं क्योंकि संचार सेवाओं के बंद होने के कारण राज्य के बाकी हिस्सों में क्या हो रहा है, यह जानना असंभव सा हो गया है.”   

संचार सेवाओं के बंद होने के बीच ट्रांजिस्टर रेडियो सेटों की मांग भी बढ़ी है, जिसे लोगों ने एक तरह से भुला ही दिया था.

DTH कनेक्शन का खर्च उठाने में असमर्थ लोग समाचार के लिए ट्रांजिस्टर रेडियो सेट का रुख कर रहे हैं. लगभग रातों रात रेडियो ने कश्मीर में अच्छी वापसी की है.

सोपोर के रहने वाले गुलाम हसन ने कहा, "टीवी चैनलों पर भड़काऊ और भ्रामक खबरें आधारित चर्चाओं के शोरशराबे को छोड़कर मैं इन दिनों रेडियो को प्रामाणिक समाचार का एक बहुत भरोसेमंद स्रोत मानता हूं. यहां तक कि मेरे बच्चे, जिनके पास सुनहरे रेडियो दिनों की कोई याद नहीं है,एफएम संगीत और अन्य मनोरंजन कार्यक्रम सुन रहे हैं."

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