चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल (आरपी) एक्ट और कंपनी एक्ट में हुए हाल के संशोधन पर आपत्ति जताई है. इसके तहत राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड और रिमूव कैप के जरिए कॉरपोरेट से मिले चंदे को बताने से छूट दी गई है.
कानून सचिव सुरेश चंद्र को लिखे अपने खत में आयोग ने कहा है कि संशोधन पर दोबारा विचार किया जाए और इसमें सुधार भी किया जाए क्योंकि इससे राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के कदम का झटका लगेगा.
आयोग ने इस बात पर भी निराशा जताई है कि केंद्र सरकार ने बिना चर्चा किए रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल (आरपी) एक्ट में संशोधन को मनी बिल के जरिए पेश करने का फैसला किया है. हालांकि खत में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है.
आरपी एक्ट की धारा 29(C) के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों को 20 हजार से ऊपर मिले चंदे की जानकारी देनी होगी, लेकिन नए संशोधन के तहत इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले 20 हजार से ऊपर के चंदे पर भी छूट दी गई है.
अपने नए नियम को वापस लेने के लिए कहते हुए चुनाव आयोग ने लिखा
अगर राजनीतिक पार्टियां को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले चंदे पर छूट दी गई तो यह नहीं पता चल पाएगा कि आरपी एक्ट की धारा 29(b) का उल्लंघन हुआ या नहीं. इस धारा के तहत पार्टियां सरकारी कंपनी और विदेश स्रोत से चंदा नहीं ले सकती.
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड?
वित्त मंत्रालय ने इस साल के बजट में इलेक्टोरल बॉन्ड का ऐलान किया था. ये बॉन्ड नोटिफाइड बैंक के जरिए सीमित राशि में जारी होंगे, जिन्हें दानकर्ता किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए खरीद सकता है या गिफ्ट कर सकता है. इसमें दानकर्ता की पहचान उजागर नहीं होगी यानि पार्टियों के पास ये बॉन्ड पहुंचेंगे तो लेकिन उन्हें ये नहीं पता चलेगा कि उनके पास किसने भेजा है.
कंपनी एक्ट में संशोधन करने से होगी यें संभावना
बजट सत्र में कंपनी एक्ट में भी बदलाव को स्वीकार किया गया है कि जिससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले कॉर्पोरेट चंदे से लिमिट हट जाएगी. इससे पहले कोई कंपनी पिछले तीन साल में नेट प्रॉफिट का 7.5% से ज्यादा हिस्सा दान नहीं कर सकती थी.
इस बदलाव के बाद आयोग ने अपने खत में लिखा है कि इससे तमाम शैल कंपनियों के खुलने की संभावना बढ़ जाएगी. जिनका मकसद केवल राजनीतिक पार्टियों को चंदा देना होगा, बिजनेस करना नहीं.
(स्रोत: Indian Express)
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