आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने मंगलवार को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) से कहा कि उसने यमुना के संवेदनशील तटीय क्षेत्र में विश्व संस्कृति महोत्सव के आयोजन के फैसले से पहले पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के आकलन के लिए किसी तरह का अध्ययन नहीं कराया है.
एनजीटी इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रखेगा. जल संसाधन मंत्रालय, आर्ट ऑफ लिविंग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इस मामले में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए और समय मांगा है.
इस संबंध में आर्ट ऑफ लिविंग की वकील अकाशमा नाथ ने कहा, “30 से अधिक विभागों और मंत्रालयों ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए हरी झंडी दे दी है. पर्यावरण मंत्रालय ने भी कोई सवाल नहीं उठाया है. जब पर्यावरण मंत्रालय ने कहा ही नहीं तो हम अध्ययन क्यों कराते.”
आर्ट ऑफ लिविंग की वकील का कहना है कि मंत्रालय ने कहा है आर्ट ऑफ लिविंग ने कार्यक्रम के आयोजन में किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.
इस कार्यक्रम का आयोजन आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर कर रहे हैं. वह आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख भी हैं. कार्यक्रम का आयोजन 11 से 13 मार्च के बीच पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील यमुना के मैदान में होगा.
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