ADVERTISEMENTREMOVE AD

गोमती रिवर फ्रंट केसः तीन इंजीनियरों की 1 करोड़ की संपत्ति जब्त

Published
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बने गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में कथित तौर पर हुए घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (2002) के तहत गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट से जुड़े तीन इंजीनियरों की पांच अचल संपत्तियों को जब्त किया है. इन संपत्तियों की कुल कीमत लगभग एक करोड़ रुपये आंकी गई है.

इसी साल जनवरी महीने में प्रवर्तन निदेशालय ने नोएडा, गाजियाबाद, राजस्थान और हरियाणा की कई जगहों पर छापेमारी की थी. इन छापेमारी में प्रवर्तन निदेशालय ने अहम दस्तावेज मिलने का भी दावा भी किया था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

योगी सरकार ने दिए थे जांच के आदेश

समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार में बने गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं. यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद गोमती रिवरफ्रंट का दौरा किया था. बाद में सीएम योगी के आदेश पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में गोमती नदी चैनलाइजेशन प्रोजेक्‍ट और गोमती नदी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट में हुई वित्तीय अनियमितताओं की न्यायिक जांच के लिए समिति गठित की गई थी.

0

ईडी ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, यूपी में मारे थे छापे

प्रवर्तन निदेशालय ने लखनऊ में 1500 करोड़ रुपये के गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट मामले में जनवरी में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 10 जगहों पर छापे मारे थे. प्रवर्तन निदेशालय ने गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के तहत उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारियों और इंजीनियरों के आवासों समेत कई जगहों पर छापे मारे थे.

ईडी पता लगानी चाहती है कि क्या आरोपियों ने गोमती रिवरफ्रंट के सौंदर्यीकरण के लिए दी गई राशि की मनी लॉन्ड्रिंग की या फिर इससे अवैध संपत्ति बनाई.

सीबीआई ने इस संबंध में दिसंबर 2017 में एफआईआर दर्ज की थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए ईडी ने 30 मार्च 2018 को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया था.

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में ली. प्रोजेक्ट को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंजूरी दी थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है पूरा मामला?

गोमती रिवर फ्रंट का काम अखिलेश सरकार में 2015 में शुरू हुआ था. इसका शुरुआती बजट 550 करोड़ रुपये था. बाद में इसकी लागत बढ़कर 1467 करोड़ रुपये हो गई. योगी सरकार आने तक इस प्रोजेक्ट पर 1427 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके थे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक की तो प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 1500 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त बजट बताया गया. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद जांच शुरू हुई.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×