द न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की एक इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत सरकार ने 2017 में इजरायल के साथ बड़े हथियारों के सौदे के तहत स्पाइवेयर पेगासस (Pegasus Spyware) भी खरीदा था.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने अब कहा है कि पेगासस स्पाइवेयर की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त किए गए पैनल को NYT द्वारा किए गए इन दावों की जांच करनी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि पैनल को ये देखना चाहिए कि क्या स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारतीय नागरिकों के खिलाफ किया गया है.
"गिल्ड ने जस्टिस रवींद्रन की अध्यक्षता वाली कमेटी को लिखा है, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारतीय नागरिकों के खिलाफ पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल की जांच करने के लिए स्थापित किया गया था, ताकि इन रिपोर्टों में किए गए दावों का संज्ञान लिया जा सके, और भारत सरकार, CAG, साथ ही उन सभी संभावित मंत्रालयों के सचिवों से हलफनामे पर जवाब मांगा जा सके, जो स्पाइवेयर की खरीद में शामिल हो सकते हैं."एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया
बयान में ये भी कहा गया है कि NYT द्वारा किए गए दावे भारत सरकार के अब तक के रुख से एकदम उलट हैं. गिल्ड ने पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल की कार्यवाही को जनता के लिए खुला रखने का भी अनुरोध किया है.
पेगासस स्पाइवेयर NSO ग्रुप द्वारा तैयार किया गया था, और ये स्मार्टफोन की रिमोट सर्विलांस करने में सक्षम है.
जुलाई 2021 में, द वॉशिंग्टन पोस्ट और 16 मीडिया संस्थानों ने पेरिस के नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन फॉरबिडन स्टोरीज के साथ मिलकर दुनियाभर में पेगासस के इस्तेमाल को लेकर खुलासा किया था.
भारत में, एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा किए गए फोरेंसिक एनालिसिस के बाद पेगासस के 10 से ज्यादा मामलों का पता चला था.
विपक्ष ने सरकार को घेरा
NYT की रिपोर्ट सामने आने के बाद सभी विपक्षों नेताओं ने मोदी सरकार द्वारा पेगासस सॉफ्टवेयर की कथित खरीद पर सवाल उठाया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा, "मोदी सरकार ने हमारे प्राथमिक लोकतांत्रिक संस्थानों, राजनेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा. सरकारी पदाधिकारियों, विपक्षी नेताओं, सशस्त्र बलों, न्यायपालिका सभी को इन फोन टैपिंग से निशाना बनाया गया."
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने देशद्रोह का काम किया है.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में "पेगासस मुद्दे पर सदन को जानबूझकर गुमराह करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के खिलाफ संसद में एक विशेषाधिकार प्रस्ताव" शुरू करने के लिए कहा.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और AICC के महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी ट्वीट कर कहा कि, "अवैध जासूसी देशद्रोह है. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और हम ये सुनिश्चित करेंगे कि न्याय मिले."
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