न्यूज वेबसाइट न्यूजलॉन्ड्री (Newslaundry) और न्यूजक्लिक (Newsclick) पर पड़े आईटी के छापों (IT Raid) के बाद इन्हें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का साथ मिला है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) दोनों न्यूज वेबसाइटों के समर्थन में उतर आया है और उसने आईटी रेड को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है और कहा है कि हम इन छापों से बहुत परेशान हैं.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि, हमें पता चला है कि आईटी टीम ने सेखरी के मोबाइल और लैपटॉप के साथ-साथ ऑफिस मशीनों के क्लोन बनाए और उन्हें कोई हैश वैल्यू नहीं दी गई. यह इनकम टैक्स की धारा 133A का उल्लंघन है जो सिर्फ जांच से संबंधित डेटा की कॉपी बनाने की इजाजत देता है, पत्रकारों के पर्सनल और प्रोफेशनल डेटा की नहीं. ये IT एक्ट, 2000 का भी उल्लंघन है.
यही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इन छापों की निंदा करते हुए अपनी चिंता जाहिर की. गिल्ड ने कहा कि वह इस बात से बहुत चिंतित है कि पत्रकारों के डाटा किस तरह से अंधाधुंध जब्त किए जा रहे हैं.
स्टेटमेंट में आगे कहा गया कि पत्रकारों के डेटा में संवेदनशील जानकारी जैसे उनके सोर्स स्टोरी और पत्रकारिता से संबंधित डाटा शामिल होता है, ये सब जब्त करना अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन है
इससे पहले भी हुई है आईटी रेड
न्यूजलॉन्ड्री के ऑफिस में आईटी की ये दूसरी रेड थी पहली जून में हुई थी. न्यूजक्लिक के मामले में ईडी ने फरवरी 2021 में उनके ऑफिस के साथ-साथ उनके सीनियर पत्रकारों और अधिकारियों के घरों पर छापेमारी की थी. न्यूजक्लिक और न्यूजलॉन्ड्री दोनों ही केंद्र सरकार की नीतियों और कामकाज के आलोचक रहे हैं.
हालांकि इस रेड के बारे में आईटी अधिकारियों की टीमों ने दोनों संगठनों को आधिकारिक तौर पर लेबल किया था.
एडिटर्स गिल्ड ने भास्कर पर रेड का भी जिक्र किया
एडिटर्स गिल्ड ने अपनी टिप्पणी को और तल्ख करते हुए कहा सरकारी एजेंसियों का स्वतंत्र मीडिया को परेशान करने और डराने-धमकाने का खतरनाक चलन बंद होना चाहिए क्योंकि यह हमारे संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करता है.
जुलाई 2021 में, देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक भास्कर के ऑफिस के साथ-साथ लखनऊ में एक समाचार चैनल, भारत समाचार के ऑफिस पर आईटी विभाग ने छापे मारे थे. यह छापे कोरोना की दूसरी लहर के दौरान की गई शानदार रिपोर्टिंग और सरकार से पूछे गए सवालों के बाद हुई थी.
एडिटर्स गिल्ड की मांग
गिल्ड ने मांग की है कि ऐसी सभी जांचों में बहुत सावधानी और संवेदनशीलता दिखाई जाए ताकि पत्रकारों और मीडिया संगठनों के अधिकारों को कमजोर न किया जा सके.
इसके अलावा यह जांच निर्धारित नियमों के दायरे में की जानी चाहिए ताकि ये स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को परेशान करने का तरीका न बन जाए.
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