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Pegasus जासूसी केस में एडिटर्स गिल्ड ने SC की निगरानी में जांच की मांग की

Editors Guild ने पत्रकारों की सर्विलांस की निंदा की

Published
भारत
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पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) के जरिए नेताओं और पत्रकारों की दुनियाभर में सर्विलांस की खबरों पर हैरानी जताते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की निगरानी में इस कथित जासूसी की स्वतंत्र जांच की मांग की.

गिल्ड ने अपने बयान में कहा, "सरकारी एजेंसियों द्वारा पत्रकारों, सिविल सोसाइटी एक्टिविस्ट, बिजनेसमैन और नेताओं की कथित जासूसी की मीडिया रिपोर्ट्स से एडिटर्स गिल्ड हैरान है."

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पिछले कुछ दिनों में 17 न्यूज पब्लिकेशन के एक इंटरनेशनल कंसोर्टियम ने दुनियाभर में इस कथित जासूसी की रिपोर्ट्स छापी हैं. EGI का कहना है कि ये दुनियाभर में सरकारों द्वारा सर्विलांस की तरफ इशारा करती हैं.

"NSO दावा करता है कि वो ये सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारी क्लाइंट्स को बेचता है. इससे शक गहरा होता है कि भारतीय सरकारी एजेंसियां अपने ही नागरिकों की जासूसी कर रही थीं."
एडिटर्स गिल्ड
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'बोलने की आजादी के बिना लोकतंत्र कैसे बचेगा'

EGI ने पत्रकारों की सर्विलांस की निंदा की और इसे प्रेस की आजादी पर 'हमला' बताया. गिल्ड ने अपने बयान में कहा, "सर्विलांस की कुछ घटनाएं असल में राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा समझे जाने वाले लोगों की हुई होगी, लेकिन परेशान करने वाली बात है कि ऐसे टारगेट बड़ी संख्या में एक्टिविस्ट और पत्रकार हैं."

"ये बोलने और प्रेस की आजादी पर खुला और असंवैधानिक हमला है. जासूसी की ये हरकत संदेश देती है कि पत्रकारिता और राजनीतिक विरोध को अब आतंकवाद के तौर पर देखा जा रहा है."
एडिटर्स गिल्ड

EGI ने कहा, "एक संवैधानिक लोकतंत्र कैसे चलेगा अगर सरकारें बोलने की आजादी को बचाने की कोशिश नहीं करेंगी और बिना किसी सजा के ऐसे सर्विलांस को मंजूरी देंगी."

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'आत्मनिरीक्षण करने का समय'

एडिटर्स गिल्ड ने मामले में स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा कि जांच कमेटी में पत्रकार और सिविल सोसाइटी एक्टिविस्ट भी शामिल होने चाहिए ताकि जांच की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके.

"ये वो समय है जब हमें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि हम कैसे समाज की तरफ बढ़ रहे हैं और अपने संविधान के लोकतांत्रिक मूल्यों से कितना दूर आ गए हैं."
एडिटर्स गिल्ड

गिल्ड ने बयान में कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जासूसी के आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं. कमेटी में एक्टिविस्ट और पत्रकारों की मौजूदगी सुनिश्चित करेगी कि मामले के तथ्यों और जासूसी के इरादे की स्वतंत्र जांच हुई है."

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