ADVERTISEMENTREMOVE AD

मीडिया को दोषी ठहराना केवल उसे कमजोर करना है: सरकार को EGI का जवाब

केंद्र सरकार के आरोपों के बाद एडिटर्स गिल्ड ने जारी किया बयान  

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर पलायन करने वाले प्रवासी कामगारों के बीच डर का माहौल पैदा करने के लिए पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सोशल मीडिया के साथ-साथ मीडिया को भी दोषी ठहराया था. अब इन आरोपों के मद्देनजर गुरुवार को प्रिंट मीडिया पत्रकारों के शीर्ष निकाय एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कही गई बातों से गिल्ड को व्याकुलता और हैरानी हुई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
 केंद्र सरकार के आरोपों के बाद एडिटर्स गिल्ड ने जारी किया बयान  

क्या कहा एडिटर्स गिल्ड ने

जारी किए गए अपने बयान में एडिटर्स गिल्ड ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हालिया बयान पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया बेहद व्याकुल है, जिसमें लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों के बीच दहशत के माहौल बनाने और नतीजतन बड़े पैमाने पर पलायन करने के लिए मीडिया को दोषी ठहराया गया. मौजूदा परिस्थितियों में काम करने की कोशिश के ऐसे वक्त पर मीडिया को दोषी ठहराना केवल उसे कमजोर करना है. इस तरह के आरोप देश के सामने एक अभूतपूर्व संकट के दौरान खबरों के प्रसार की प्रक्रिया में भी बाधा डाल सकते हैं. दुनिया में कहीं भी कोई भी लोकतंत्र अपने मीडिया का मुंह बंद करके इस महामारी से नहीं लड़ रहा है."

गिल्ड ने ये भी कहा कि वेबसाइट द वायर के एडिटर इन चीफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर भी गिल्ड का ध्यान गया है. इस स्तर पर आपराधिक कानूनों के तहत एफआईआर के रूप में एक पुलिस कार्रवाई करना एक ओवररिएक्शन और डराने की कार्रवाई है.
0

क्या कहा था केंद्र सरकार ने

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि "फर्जी और भ्रामक समाचार और सोशल मीडिया" की वजह से प्रवासियों और दिहाड़ी श्रमिकों ने बड़े पैमाने पर पलायन किया.
देशव्यापी लॉकडाउन के ऐलान के बाद पिछले हफ्ते यूपी सरकार द्वारा सैकड़ों की संख्या में राजधानी दिल्ली से भीड़-भाड़ वाली बसों की व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा हजारों की तादाद में प्रवासी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांवों तक पहुंचे. मीडिया ने उस समय अपने रिपोर्ट्स में ऐसे प्रवासी मजदूरों के दुख-दर्द, डर और नुकसान का जिक्र किया था.

इसके बाद अपने आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को "आधिकारिक संस्करण" प्रकाशित करने के लिए निर्देश दिया था, लेकिन साथ ही ये भी साफ किया था कि कोर्ट "कोरोनावायरस महामारी के बारे में मुक्त चर्चा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है".

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×